उत्तराखंड में हर साल 120 दिन में सुलगता है 2200 हेक्टेयर जंगल
इस मर्तबा अब तक की तस्वीर देखें तो अग्निकाल के गुजरे 45 दिन में 237 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंच चुका है। यह भी तब रहा, जबकि अब तक मौसम साथ देता आया है। अब जबकि, पारा उछलने लगा है तो आने वाले 75 दिन बेहद चुनौती भरे साबित होने वाले हैं।
उत्तराखंड में जंगल की आग की एक बड़ी चुनौती के रूप में साबित हो रही है। स्थिति तब अधिक नाजुक हो जाती है, जब वन महकमा आगे के आगे बेबस नजर आता है। साल-दर-साल के आंकड़े आग की भयावहता का अहसास करा रहे हैं। गुजरे 10 सालों को ही लें तो वर्ष 2007 से लेकर 2016 के बीच सिर्फ दो मौके ही ऐसे थे, जब जंगलों को आग से कम नुकसान पहुंचा। बाकी वर्षों में क्षति का आंकड़ा डेढ़ से लेकर चार हजार हेक्टेयर के बीच रहा है।
पिछले साल तो आग इतनी विकराल हुई कि इस काबू पाने के लिए सेना और वायुसेना तक की मदद लेनी पड़ी थी। साफ है कि 46 फीसद फॉरेस्ट कवर वाले उत्तराखंड में जंगल की आग एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि चढ़ते पारे के साथ ही संसाधनों का टोटा, बजट की कमी, जनसहभागिता की कमी जैसे तमाम सवालों से जूझते हुए वन महकमा जंगल की आग से कैसे निबटता है।
आग इस साल अब तक
माह———घटनाएं——प्रभावित क्षेत्र—-क्षति
फरवरी——-09————8.90———12300
मार्च———-48———-76.10——–140775
अप्रैल——–123——–152.75——–213158 (अब तक)
(नोट: क्षेत्रफल हेक्टयेर और राशि रूपये में)
जंगल की आग
वर्ष———–प्रभावित क्षेत्र (हेक्टेयर में)
2016——-4433.75
2015——-4292.35
2014———930.33
2013———384.05
2012——-2823.89
2011———232.00
2010——–1611.00
2009——–4115.50
2008——–2369.00
2007———1595.35
राज्य में वन क्षेत्र
-37999.60 वर्ग किमी सूबे में वनों का क्षेत्रफल
-25863.18 वर्ग किमी वन विभाग के अधीन
-7350.85 वर्ग किमी पंचायतों के अधीन,
-4768.70 वर्ग किमी राजस्व विभाग के अधीन
-156.40 वर्ग किमी पालिका व छावनी के अधीन