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इन साइबर ठगों के कारनामों को जानकर हैरान हो जाएंगे आप

देहरादून: देहरादून के 97 बैंक खातों के एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर 37 लाख से अधिक की ठगी करने वाले शातिर साइबर ठगों को कोल्हापुर (महाराष्ट्र) से गिरफ्तार कर एसटीएफ बुधवार शाम देहरादून पहुंच गई। गिरफ्तार आरोपियों में गैंग का मास्टरमाइंड रामवीर, जगमोहन और सुनील शामिल हैं। एसटीएफ ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया। अब दून पुलिस कस्टडी में लेकर आरोपियों से पूछताछ करेगी।

गांधी रोड स्थित एसटीएफ मुख्यालय पर एसएसपी रिदिम अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया कि उत्तराखंड में एटीएम क्लोनिंग के अब तक की सबसे बड़ी वारदात के फरार चल रहे तीनों आरोपियों को सोमवार को ही कोल्हापुर में गिरफ्तार कर लिया गया था। गैंग के काम करने के तरीकों का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि एटीएम क्लोनिंग गैंग का सरगना रामवीर पुत्र स्व. राजपाल निवासी ग्राम बरहाना थाना बेरी जिला झज्जर (हरियाणा) है, जो खुद 10वीं फेल है।

उसने वर्ष 2012 में पड़ोस के गांव के सुनील पुत्र धर्मपाल निवासी खराबड़ रोहतक हरियाणा से एटीएम के कीपैड में तिल्ली फंसा कर एटीएम ठगी का गुर सीखा। इसके बाद उसने कई कारनामे किए। बाद में रामवीर ने अपने गांव के जगमोहन पुत्र देवेंद्र को साथ लेकर गिरोह बना लिया। इसके बाद तीनों ने साइबर तकनीकी में माहिर शख्स से एटीएम क्लोनिंग के गुर सीखे।

एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि रामवीर, सुनील और जगमोहन ने स्कीमर के जरिये एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करने के तरीके का पहली बार इस्तेमाल किया था। तीनों ने 30 जून को नेहरू कॉलोनी के धर्मपुर में पीएनबी के एटीएम में स्कीमर डिवाइस और कैमरा फिट किया और एक जुलाई को उसे निकालकर हरियाणा चले गए।

मगर तकनीकी कारणों से डिवाइस में डाटा कॉपी नहीं हुआ। तीनों सात जुलाई को फिर देहरादून आए और इस बार आरोपियों ने राजीवनगर में एसबीआइ के एटीएम में स्कीमर डिवाइस और कैमरा फिट किया। आसपास के एटीएम के कीपैड पर ग्लू लगाकर उन्हें निष्क्रय कर दिया, ताकि लोग एसबीआइ के एटीएम में ही आएं।

यहां से चोरी किए डाटा के सहारे कुल 103 एटीएम कार्डों का क्लोन तैयार किया। 97 कार्डों से लगभग 37 लाख रुपये जयपुर और दिल्ली के एटीएम से निकालने में कामयाब रहे।

कोल्हापुर में किराये के फ्लैट में छिपे थे ठग

एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि दिल्ली में पैसे निकालने के बाद तीनों वापस रोहतक आए थे। यहां सुनील के घर पर ठिकाना बनाया। लेकिन, इधर पुलिस की सक्रियता बढ़ने पर तीनों फ्लाइट से दिल्ली आ गए और यहां से ट्रेन पकड़कर कोल्हापुर चले गए। कोल्हापुर में 11 हजार रुपये महीने के किराए पर फ्लैट किराये पर लिया और ऐश करने लगे।

अब तीनों के तकनीकी गुरु की है तलाश

एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि रामवीर 10वीं फेल होने के बाद भी साइबर फ्रॉड का माहिर है, जबकि उसके अन्य साथी ग्रेजुएट हैं। जाहिर है कि तीनों ने किसी से साइबर क्राइम का गुर सीखा होगा। पूछताछ में उसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।

अन्य राज्यों की पुलिस को दी जानकारी

रामवीर व उसके साथियों ने जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में भी वारदातों को अंजाम दिया है। आरोपियों के गिरफ्तारी की जानकारी संबंधित राज्यों को भेज दी गई है।

अनिल कुमारी को सामने बिठाकर होगी पूछताछ

बीते 27 जुलाई को गिरफ्तार साइबर ठगी के गैंग की महिला सदस्य अनिल कुमारी पुत्री दया सिंह निवासी मालरा गोहना सोनीपत को भी आरोपियों के साथ बैठाकर पुलिस पूछताछ करेगी। इसके लिए दून पुलिस गुरुवार को कस्टडी रिमांड के कोर्ट में अर्जी डालेगी।

खुलासे में नजर नहीं आई दून पुलिस

एसटीएफ के बुधवार को किए गए खुलासे में दून पुलिस नजर नहीं आई। इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं रहीं। डीजीपी के स्तर से इस मामले की जांच के एसआइटी गठित की गई थी, जिसमें दून पुलिस और एसटीएफ दोनों को टीम वर्क के साथ काम करने की हिदायत दी गई थी।

पुलिस टीम को साढ़े 32 हजार का इनाम

साइबर ठगों के गैंग का खुलासा और गिरफ्तारी करने पर डीजीपी अनिल के रतूड़ी ने 20 हजार, आइजी एसटीएफ दीपम सेठ ने दस हजार व एसएसपी एसटीएफ ने ढाई हजार रुपये का इनाम दिया है।

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