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उत्तराखंड: अशासकीय कालेजों का छात्र हित मिशन रहेगा जारी, हाईकोर्ट के फैसले का शिक्षकों ने किया स्वागत

देहरादून। नैनीताल हाई कोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विवि से संबद्ध सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों की संबद्धता समाप्त कर उन्हें श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध करने संबंधी सरकार के आदेश को खारिज कर दिया।इस आदेश का अशासकीय कालेजों के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने स्वागत किया है। अशासकीय कालेज शिक्षकों का कहना है कि उनका पहले की ही तरह छात्र हित मिशन आगे भी जारी रहेगा। अशासकीय कालेजों को लेकर कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उससे शिक्षक छात्र-छात्राओं की सफलता की गति को और धार देने का काम करेंगे।

गढ़वाल विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन (ग्रूटा) के महामंत्री डा.डीके त्यागी ने कहा कि नैनीताल हाई कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। सरकार को इससे सबक लेना चाहिए कि कोई भी कानूनी प्रक्रिया कानून के दायरे में की जानी चाहिए। सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों के अनुदान व संबद्धता प्रकरण में हटधर्मिता दिखाई। जिससे मामले को लेकर हाई कोर्ट का रुख करना पड़ा।

श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध हो चुके पांच कालेज

एक ओर सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों की संबद्धता और अनुदान का मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन था, वहीं दूसरी ओर 12 सितंबर 2021 को पांच सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से संबद्धता दे दी गई। इन कालेजों को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि की ओर से संबद्धता छोड़ने का अनापत्ति पत्र भी जारी हुआ था, जिसे श्रीदेव सुमन विवि ने स्वीकार कर पांचों कालेजों को संबद्धता पत्र जारी कर दिए थे। पांच में से चार कालेज हरिद्वार व एक टिहरी जिले का है। हाई कोर्ट के मंगलवार के आदेश के बाद इन पांचों कालेजों की संबद्धता पूर्व की भांति गढ़वाल विवि से ही बनी रहेगी या श्रीदेव सुमन से संबद्धता होगी, इसको लेकर कुछ समय बाद स्थिति स्पष्ट होगी।

ढाई साल पहले शुरू हुआ था विवाद

करीब ढाई साल पहले प्रदेश सरकार ने 16 सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से संबद्धता लेने पर ही अनुदान जारी रखने का नियम विधानसभा में पारित किया था। इस वर्ष 21 मार्च 2021 को प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन अनुदान प्राप्त कालेजों को श्रीदेव सुमन विवि से संबद्धता लेने के निर्देश दिए गए थे। जिसके बाद सहायता प्राप्त अशासकीय कालेज शिक्षकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

इन कालेजों ने ले ली थी श्रीदेव सुमन विवि से संबद्धता

– बालगंगा महाविद्यालय, सेंदुल केमर, टिहरी

– एसएमजेएन पीजी कालेज, हरिद्वार

– हर्ष विद्या मंदिर पीजी कालेज रायसी, हरिद्वार

– आरएमपी पीजी कालेज गुरुकुल नारसन, हरिद्वार

– केएल डीएवी पीजी कालेज रुड़की, हरिद्वार

इन कालेजों ने नहीं ली थी संबद्धता

– डीएवी पीजी कालेज, देहरादून

– एमकेपी पीजी कालेज, देहरादून

– श्रीगुरु राम राय पीजी कालेज, देहरादून

– डीबीएस पीजी कालेज, देहरादून

– डीडब्ल्यूटी पीजी कालेज, देहरादून

– चिन्मय डिग्री कालेज, हरिद्वार

– महिला महाविद्यालय सतीकुंड, हरिद्वार

– बीएसएम पीजी कालेज, रुड़की

– एमपीपीजी कालेज, मसूरी

– एसडीपीसीजी पीजी कालेज, रुड़की

– राठ महाविद्यालय पैठाणी, पौड़ी 

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखंड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रशांत सिंह ने कहा, नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले का राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ स्वागत करता है। हाई कोर्ट ने फैसले में यह भी निर्देशित किया है कि दो महीने के भीतर राज्य व केंद्र सरकार यह तय करें कि अशासकीय कालेजों को मिलने वाली ग्रांट कौन जारी करेगा। अब प्रदेश सरकार को केंद्र के साथ बैठक कर अशासकीय कालेज शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को दिए जाने वाले अनुदान को लेकर अंतिम निर्णय लेना होगा।

अशासकीय कालेज प्राचार्य परिषद के महामंत्री डा. अजय सक्सेना ने बताया कि सहायता प्राप्त अशासकीय कालेजों की संबद्धता को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी सुनिश्चित किया है कि जब तक केंद्र व राज्य सरकार के बीच अनुदान देने को लेकर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक प्रदेश सरकार को अनुदान जारी रखना होगा।

वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि हाई कोर्ट के निर्णय की प्रति का इंतजार किया जा रहा है। कोर्ट ने अपने फैसले में जो भी दिशा-निर्देश दिए होंगे, उसी के अनुसार सरकार निर्णय लेगी। फैसले की प्रति प्राप्त होने के बाद इस संदर्भ में कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है। 

 

 

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