उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड में सरकारी गाड़ी से निजी सफर हुआ महंगा

देहरादून : सरकार ने फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाने और वित्तीय अनुशासन कायम करने की दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है, लेकिन इससे सरकारी कार्मिकों को तगड़ा झटका लगा है। उन्हें सरकारी गाड़ियों से निजी सफर अब तीन गुना से ज्यादा महंगा पड़ेगा। सरकारी अधिकारी यदि वाहन का का निजी उपयोग हर महीने 200 किमी से अधिक करेंगे तो उनसे 10 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से वसूली की जाएगी। दो महीने में दूसरी दफा सरकारी वाहनों के निजी उपयोग से सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ को हल्का किया गया है।

प्रदेश में सरकारी अधिकारियों को दिए गए सरकारी वाहनों पर सालाना खर्च करोड़ों में है। वाहनों के रखरखाव, पेट्रोल-डीजल पर खर्च में लगातार इजाफा हो रहा है। लिहाजा वित्तीय अनुशासन और वैल्यू फॉर मनी के सिद्धांत पर इस खर्च को कम करने के लिए सरकारी अधिकारियों की सुविधा में कटौती की गई है।

इस संबंध में वित्त सचिव अमित नेगी ओर से सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, प्रभारी सचिव, समस्त विभागाध्यक्ष एवं कार्यालयाध्यक्ष को आदेश जारी किए गए हैं। अभी तक जिन सरकारी अधिकारियों को सरकारी वाहन आवंटित हैं, वे प्रति माह 200 किमी तक वाहन का निजी प्रयोग कर सकते हैं। यदि निजी उपयोग किसी महीने 200 किमी से अधिक हो जाए तो संबंधित अधिकारी को तीन रुपये प्रति किमी की दर से सरकारी खजाने में भुगतान करना पड़ता है।

शासनादेश के मुताबिक यह धनराशि अब तीन रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति किमी की दर से संबंधित अधिकारी से वसूल की जाएगी। गौरतलब है कि बीती सात जून को सरकार फरमान जारी कर सरकारी वाहन का निजी उपयोग करने पर अधिकारियों से चार गुना ज्यादा धनराशि वसूल करने की व्यवस्था लागू कर चुकी है।

पहले प्रत्येक अधिकारी को 200 किमी प्रति माह तक वाहन का निजी प्रयोग करने पर राजकीय कोष में कार के लिए 500 रुपये और जीप के लिए 400 रुपये जमा कराने पड़ते थे। बीते जून माह के आदेश में यह राशि बढ़ाकर 2000 रुपये की जा चुकी है। अब नया आदेश जारी होने के बाद सरकारी वाहनों को निजी उपयोग के लिए ज्यादा इस्तेमाल करने की सूरत में अधिकारियों को ज्यादा भुगतान करना होगा।

 

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