उत्तराखंड विकास खण्ड

एनजीओ पर कस रहा वन विभाग का शिकंजा, भेजे नोटिस

देहरादून : जैव विविधता के लिहाज से धनी 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर वन विभाग शिकंजा कसने जा रहा है। इस कड़ी में एनजीओ को नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके तहत बीते पांच वर्षों में प्रदेश में संचालित अथवा किए जा रहे कार्यों समेत छह बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। गुजरे तीन माह के दरम्यान अब तक छह बड़े एनजीओ को नोटिस भेजे गए, जिनमें से तीन ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। विभाग के मुताबिक जो भी एनजीओ जानकारी में आ रहे हैं, उन्हें नोटिस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। ब्योरा न देने वाले एनजीओ पर राज्य में प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए जाएंगे।

वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले तमाम एनजीओ की भूमिका पर पूर्व से सवाल उठते रहे हैं। राज्य में पंजीकृत 50 हजार से ज्यादा एनजीओ में से अधिकांश का कार्यक्षेत्र वन एवं पर्यावरण है। बावजूद इसके, कुछेक को छोड़कर इस क्षेत्र में इनकी सक्रिय भागीदारी नजर नहीं आती। वन महकमे के अफसरों के कानों तक यह बात भी पहुंची है कि प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के अलावा संरक्षित क्षेत्रों के इर्द-गिर्द के इलाकों में वन्यजीव अंगों की कृत्रिम मांग पैदा की जा रही है। इन क्षेत्रों में वन्यजीवों की खाल व अंग पकड़वाने के एवज में मोटी रकम का लालच दिया जाता है।

इस सबके मद्देनजर वन महकमा राज्य में कार्यरत एनजीओ की कुंडली बांच रहा है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती की ओर से पांच जुलाई को डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी  (नई दिल्ली), वाइल्डलाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया (नोएडा) के अलावा देहरादून के ऑपरेशन आई आफ द टाइगर इंडिया, इफैक्ट व नेचर साइंस इनिशिएटिव को नोटिस भेजे गए। सभी को 15 दिन के भीतर छह बिंदुओं पर जानकारी मुहैया कराने के निर्देश दिए गए।

इनमें से तीन एनजीओ ने अब तक कोई ब्योरा नहीं दिया है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती के मुताबिक इनमें वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया और ऑपरेशन आई आफ द टाइगर शामिल हैं। इन्हें फिर से स्मरण पत्र भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो भी एनजीओ जानकारी में आ रहे, उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं। ब्योरा न देने वाले एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

इन बिंदुओं पर मांगी जानकारी

-परियोजना का नाम

-राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति का विवरण

-वित्तीय पोषण देने वाले संस्थान का नाम

-परियोजना के लिए स्वीकृत राशि

-अब तक व्यय राशि

-शोध-क्रियान्वयन को उत्तरदायी व्यक्ति

Related Articles

Back to top button