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एसआइटी की जांच में खुलासा, चार युवक फर्जी दस्तावेजों से बने शिक्षक

देहरादून : राज्य में शिक्षकों की भर्ती में हुए कथित फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगी हैं। दून के एक अशासकीय स्कूल में चार मुन्ना भाई शिक्षक बने हुए हैं। इसका खुलासा एसआइटी की जांच में हुआ है। एसआइटी ने फर्जी डिग्री वाले चारों शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति शिक्षा निदेशक से की है। इसी मामले में हरिद्वार समेत अन्य जिलों में तैनात शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच अभी जारी है।

बता दें कि राज्य सरकार को 2014 से 2016 के बीच सरकारी और आशसकीय स्कूलों में भर्ती हुए शिक्षकों की डिग्री में फर्जीवाड़े की शिकायत मिली थी। जिसके बाद सरकार ने उक्त मामले की जांच एसआइटी से कराने का फैसला लिया। एएसपी विजिलेंस श्वेता चौबे के नेतृत्व में गठित एसआइटी पिछले डेढ़ माह से ऐसे शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच में जुटी है। इस पड़ताल में एसआइटी को हर्रावाला स्थित एक अशासकीय जूनियर हाई स्कूल में तैनात चार शिक्षकों की डिग्री फर्जी मिली है। चारों आरोपियों की बीएड की डिग्री में विश्वविद्यालय का नाम हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद और हिंदी साहित्य सम्मेलन लखनऊ दर्ज था।

एसआइटी की टीम जब इस संस्थान के इलाहाबाद स्थित पते पर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला, जबकि लखनऊ के पते पर नर्सरी स्कूल चल रहा था। इसके बाद एसआइटी ने इस संस्थान की मान्यता के बारे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से जानकारी की तो पता चला कि उक्त संस्थान रजिस्टर्ड ही नहीं है।

सैकड़ों शिक्षक हैं रडार पर 

इस मामले में सैकड़ों शिक्षक रडार पर हैं। अभी भी दून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, टिहरी आदि के अशाकीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। इन शिक्षकों में विशारद से डिग्री लेने वालों की सूची काफी लंबी है। पहली सफलता मिलने के बाद एसआइटी ने जांच और तेज कर दी है।

हरिद्वार से गायब शिक्षकों की सूची जब्त 

एसआइटी को फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने की सबसे ज्यादा शिकायतें हरिद्वार से मिली हैं। यहां अशासकीय स्कूलों से करीब 60 शिक्षक गायब चल रहे हैं। शुक्रवार को हरिद्वार गई एसआइटी की टीम ने ऐसे शिक्षकों की सूची अपने कब्जे में ले ली। इन शिक्षकों की तलाश अब एसआइटी दस्तावेजों में दर्ज उनके पते के आधार पर करेगी। जल्द ही इन शिक्षकों को नोटिस भी जारी किए जाएंगे।

वहीं एसपी विजिलेंस श्वेता चौबे ने बताया कि अभी तक की जांच में कुछ शिक्षकों की डिग्री ऐसे विश्वविद्यालय की मिली हैं, जो वर्षों पूर्व बंद हो गए। इन विश्वविद्यालयों को यूजीसी और एनसीटीई ने मान्यता नहीं दी थी। दून के चार शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति की गई है। बाकी की जांच जारी है।

शिक्षा के क्षेत्र में नहीं चलने दी जाएगी बेईमानी

वहीं प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पाांडेय का कहना है कि प्रदेश के विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों को बख्शा नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पानेे वाले शिक्षकों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता में एफआईआर दर्ज करायी जायेगी। किसी भी हालत में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। उनका कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बेईमानी नहीं चलने दी जायेगी।

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