उत्तराखंड विकास खण्ड

ऑल वेदर रोड बनने का रास्ता साफ, एनजीटी ने दिखार्इ हरी झंडी

देहरादून : चारधाम व सामरिक महत्व वाली केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड परियोजना को एनजीटी से बड़ी राहत मिली है। परियोजना के निर्माण में पर्यावरण को खतरा बताने वाली अपील का निस्तारण करते हुए एनजीटी अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने परियोजना को हरी झंडी दिखा दी। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार व सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सख्त हिदायत दी कि किसी भी कीमत पर निर्माण कार्य का मलबा नदी व वन क्षेत्र में न फेंका जाए।

करीब 12 हजार करोड़ रुपये की ऑल वेदर रोड परियोजना के कार्य को खतरा बताते हुए बिरेंद्र सिंह व अन्य ने कहा था कि यह भागीरथी इको सेसेंटिव जोन के 18 दिसंबर 2012 को किए गए नोटिफिकेशन का उल्लंघन है। याचिका में दावा किया गया था कि निर्माण कार्य में लगातार ब्लास्टिंग की जा रही है और पहाड़ों से निकलने वाले मलबे को गंगा नदी (भागीरथी) में फेंका जा रहा है।

खासकर नियमों की अनदेखी गंगोत्री व भैरोंघाटी के बीच की जा रही है। इस पर एनजीटी ने चार मई को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएचआइडीसीएल), बीआरओ व उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया था। इस पर विशेष तौर पर उत्तराखंड सरकार व बीआरओ ने एनजीटी को आश्वस्त किया कि किसी भी तरह का मलबा नदी व वन क्षेत्रों में नहीं फेंका जाएगा। साथ ही भागीरथी इको सेंसेटिव जोन के नियमों का भी पूरी तरह अनुपालन किया जाएगा। वहीं, इससे पहले बीआरओ ने ऑल वेदर रोड को बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के लिहाज से अहम बताते हुए कहा कि राजमार्ग सामरिक दृष्टि से भी खासा महत्व रखते हैं। यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा से सटा हुआ है। इस परियोजना के निर्माण के बाद भारत-चीन सीमा क्षेत्रों की कनेक्टिविटी भी बेहतर हो सकेगी।

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