सेहत

क्या बाहर मौजूद प्रदूषण जितनी ही ख़तरनाक है घर के अंदर की दूषित हवा?

जब भी हम बात करते हैं वायु प्रदूषण की, तो इस दौरान ज़िक्र होता है बिल्डिंग या फिर घरों के बाहर मौजूद प्रदूषण का। हालांकि, घर के अंदर मौजूद प्रदूषण उतना ही जानलेवा होता है जितना कि घर के बाहर मौजूद प्रदूषण। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार, इनडोर वायु प्रदूषकों का स्तर अक्सर बाहरी स्तरों की तुलना में 2-5 गुना अधिक होता है। कुछ मामलों में, ये स्तर समान प्रदूषकों के बाहरी स्तरों से 100 गुना अधिक हो सकते हैं।

लोग औसतन अपना 65 प्रतिशत समय अपने घरों के अंदर बिताते हैं। शोध के अनुसार, घर के अंदर की प्रदूषित हवा बाहर के प्रदूषण की तुलना में कहीं ख़तरनाक हो जाता है। घर के अंदर की ख़राब हवा के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत है।

घर में मौजूद धुआं कैसे है ख़तरनाक?

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल्स के फाउंडर और संस्थापक, इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट, डॉ. शुचिन बजाज ने सलाह देते हुए कहा, ” खाना पकाने और धूम्रपान करने वाले तंबाकू के धुएं को मिलाकर अगर एक आंकड़ा लगाया जाए तो पता चलेगा कि इनडोर वायु प्रदूषण में इन दोनों प्रकार के धुएं का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। इस तरह के धुएं जब वातावरण में फैले प्रदूषकों से मिल जाते हैं, तो ओज़ोन (O3) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), पार्टिकुलेट मैटर (PM), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाती है। सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है। इस वजह से ये प्रदूषक वातावरण के निचले हिस्सों में रह जाते है, इस वजह से हमें सर्दियों में ज्यादा प्रदूषण देखने को मिलता है। हवा का तापमान हार्ट अटैक पर भी बहुत बड़ा फर्क डालता है। जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है तो ख़तरा बढ़ जाता है। हवा, धूप, और हवा का दबाव कम होने से भी ज़्यादा हार्ट अटैक का ख़तरा हो जाता है। ठंड और हवा के कारण शरीर तापमान और ऊर्जा को बनाए रखने के लिए त्वचा की रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ता है। यह उच्च प्रतिरोध के कारण हार्ट को ज्यादा खून पंप करने पर मजबूर करता है, जिससे हार्ट पर तनाव बढ़ जाता है और परिणामस्वरुप हार्ट अटैक हो सकता है।

घर के अंदर की हवा को साफ रखने की ज़िम्मेदारी किसकी?

मैग्नेटो क्लीनटेक के सीईओ, श्री हिमांशु अग्रवाल ने बताया, “प्रदूषण पर काफी लंबे समय से सार्वजनिक रूप से बहस होती रही है। हालांकि अब समय आ गया है कि प्रदूषण की इस बहस को बाहरी प्रदूषण के साथ इनडोर प्रदूषण पर भी की जाए। क्योंकि लोग घर में सबसे ज़्यादा रहते हैं, इसलिए इस वक्त इनडोर वायु प्रदूषण को ख़त्म करने पर बातचीत करने की सख़्त ज़रूरत है। हम सभी अपनी लाइफस्टाइल और आदतों की वजह से प्रदूषण बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार हैं, विशेष रूप से हमारे घरों के अंदर का प्रदूषण हमारी ख़ुद की वजह से होता है। घर में मौजूद प्रदूषण बाहर की तुलना में 10 गुना ज़्यादा ख़राब होता है, जो हवा की गुणवत्ता को ख़राब करता है। हमें देश के नागरिक होने के तौर पर लोगों को घर के अंदर वायु प्रदूषण से निपटने की ज़रूरत के बारे में शिक्षित करना चाहिए।

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