उत्तराखंड विकास खण्ड

गंगा और यमुना को जीवित व्यक्ति के अधिकार दो

नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक अभूतपूर्व आदेश में केंद्र सरकार से पतित पावनी गंगा एवं यमुना नदी को एक जीवित व्यक्ति की तरह से साफ सुथरी बनाने के आदेश दिए हैं.

यही नहीं न्यायालय ने उत्तराखंड एवं यूपी सरकार के सहयोग न करने पर केंद्र सरकार से अनुच्छेद 365 का इस्तेमाल करने को कहा है.

न्यायालय ने देहरादून के डीएम को विकासनगर की शक्ति नहर से ढकरानी तक 72 घंटे के भीतर अतिक्रमण से मुक्त करने का आदेश भी जारी किया है. न्यायालय ने राज्य सरकार को डीएम को तय समय में आदेश का पालन न करने पर सीधे बर्खास्त करने को कहा है. न्यायालय ने उत्तराखंड एवं यूपी सरकार को अधिकतम आठ सप्ताह में परिसंपत्तियों का बंटवारा करने के भी निर्देश दिए हैं. साथ ही आठ सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने का आदेश भी दिया है.

यह महत्वपूर्ण एवं दूरगामी आदेश मोहम्मद सलीम नामक व्यक्ति की एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने जारी किया है. न्यायालय ने साफ कर दिया है कि पूर्व सुनवाई में केंद्र सरकार को पांच दिसंबर तक गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाए जाने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया है. न्यायालय ने साफ तौर पर कहा कि गंगा व यमुना को जीवित मानव की तरह का संरक्षण देना होगा.

सोमवार को संयुक्त खंडपीठ ने कहा कि पतित पावनी गंगा एक जीवित व्यक्ति की तरह से है. इसको साफ सुथरा बनाए जाने के साथ ही संरक्षण दिए जाने की जरूरत है. खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को आठ सप्ताह के भीतर गंगा मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करना होगा. इतने ही समय में यूपी एवं उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा किया जाए.

न्यायालय ने साफ तौर पर कहा कि इस आदेश का पालन करने के लिए संविधान ने केंद्र सरकार को अनुच्छेद 365 में आपातकालीन शक्ति दी है. केंद्र इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने बताया कि पूर्व में जारी आदेश में शक्तिनहर डकरानी (यमुना नदी) के किनारे अतिक्रमण को हटाने के लिए डीएम को आदेश दिए गए थे.

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