उत्तराखंड समाचार

चमोली जिले के 78 गांवों में मंडरा रहा भूस्खलन का खतरा

गोपेश्वर : चमोली जिले में मानसून को लेकर आपदा प्रबंधन महकमा भी सतर्क हो गया है। जिले के 78 गांव में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। इसे देखते हुए राहत एवं बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने पांच टीमें शासन से मांगी है। पिछली बार जिले में आपदा प्रबंधन के लिए दो ही टीमें तैनात थी।

चमोली जिला आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। यहां पर 78 गांव भूस्खलन से प्रभावित हैं। ऐसे में बारिश के दौरान आपदा प्रभावित गांवों के लोगों को सिर बचाना मुश्किल हो जाता है। यात्रा रूट पर भूस्खलन से भी आपदा महकमे की मुसीबतें बढ़ती रही हैं।

इस बार आपदा प्रबंधन ने पांच रेस्क्यू टीमें मांगी हैं, जिन्हें संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया जाएगा, ताकि समय से राहत एवं बचाव कार्य हो सके। आपदा महकमे ने विकास खंड स्तर पर भी लोगों की टीमें बनाई हैं।

विकास खंड स्तर पर अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर रेस्क्यू टीम का हिस्सा बनाया गया है। ये टीम जिला मुख्यालय व अन्य जगह से राहत एवं बचाव कर्मियों के आने तक मौके पर मोर्चा संभालेगी।

एक गांव का ही हुआ विस्थापन

विस्थापन को लेकर शासन गंभीर नहीं है। आपदा प्रबंधन ने 17 गांवों के विस्थापन का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन अब तक एक ही गांव फरकंडे का ही विस्थापन हुआ है।

इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम एक्टिव

जिलास्तर पर इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम का गठन कर दिया गया है। साथ ही तहसीलस्तर पर भी इसकी इकाइयां बनाई गई हैं। इन टीमों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। 16 जून को इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम की मॉकड्रिल भी प्रस्तावित है।

आपदा प्रबंधन महकमा सतर्क 

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी के मुताबिक इस बार आपदा राहत एवं बचाव कार्य के लिए पांच टीमें शासन से मांगी गई है। विकास खंड स्तर पर भी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। आपदा प्रबंधन महकमा हर वक्त सतर्क है।

  • संपादक कविन्द्र पयाल

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