उत्तराखंड विकास खण्ड

जंगल के जख्मों पर लगाएंगे जापान का मरहम, करेंगे हरा भरा

आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से ‘जख्मी’ जंगलों पर अब जापान का मरहम लगेगा। बात हो रही है वन क्षेत्रों में भूस्खलन के उपचार की। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जाइका) की तकनीकी मदद से ऐसे क्षेत्रों को फिर से हरा-भरा किया जाएगा। इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए वन महकमा 15 दिन के भीतर टास्क टीमों का गठन करेगा।

राज्य में वैसे तो हर साल ही बरसात में बड़े पैमाने पर जंगलों को भूस्खलन से क्षति पहुंचती है, लेकिन जून 2013 में आई आपदा में केदारघाटी समेत अन्य स्थानों भारी तबाही हुई थी।

इससे सबक लेते हुए वन महकमे ने भूस्खलन से प्रभावित जंगलों के उपचार की दिशा में गंभीरता से मंथन किया। तब छोटे-छोटे भूस्खलन वाले क्षेत्रों का उपचार विभागीय स्तर पर करने का निश्चय किया गया। जबकि, बड़े प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष तकनीकी मदद को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों के चयन करना तय हुआ, मगर उपयुक्त प्रस्ताव नहीं मिल पाए। बाद में इस सिलसिले में जाइका से विमर्श कर जापान से नई तकनीकी सहायता परियोजना का आग्रह किया गया। बात परवान चढ़ी और फिर शासन और जाइका के मध्य सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

अब परियोजना को धरातल पर उतारने को कसरत शुरू कर दी गई है। इस कड़ी में सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में परियोजना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर कई निर्णय लिए गए।

बैठक में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन, प्रमुख वन संरक्षक एवं मुख्य परियोजना निदेशक जाइका अनूप मलिक, जापान से आए विशेषज्ञ शिन्गो किटौरा, साओरी मियाजिमा आदि मौजूद थे।

ऐसे परवान चढ़ेगी परियोजना

-परियोजना के क्रियान्वयन को 15 दिन में गठित होंगी तीन टास्क टीम

-मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव वन की अध्यक्षता में संयुक्त समन्वय समिति भी बनेगी

-जापान के विशेषज्ञ नियोजन और तकनीकी डिजाइन तैयार करने को वन विभाग के कार्मिकों को देंगे प्रशिक्षण

-जाइका चार भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित कर तकनीकी डिजाइन तैयार करने के साथ ही संसाधन भी कराएगा उपलब्ध

-परियोजना का व्यय जापान सरकार शत-प्रतिशत अनुदान के रूप में करेगी वहन

 

Related Articles

Back to top button