उत्तराखंड समाचार

दिल्ली के व्यापारी को बेच दी करोड़ों की सरकारी भूमि

उत्तर प्रदेश आवास विकास ने ऋषिकेश स्थित करोड़ों रुपये की भूमि दिल्ली के एक व्यापारी को बेच थी। चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इतना ही नहीं, ऋषिकेश सब रजिस्ट्रार ने इसकी रजिस्ट्री भी करा दी। शहरी विकास एवं आवास मंत्री मदन कौशिक ने मामला पकड़ा तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। फिलहाल रजिस्ट्री पर स्टे करा दिया गया है। साथ ही इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

एक तरफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपित्तयों के बंटवारे को लेकर मशक्कत कर रहे हैं, वहीं अधिकारियों की नाक के नीचे परिसंपत्तियां ठिकाने लगाई जा रही हैं। हाल ही में परिसंपतियों के बंटवारे को लेकर हुई बैठक में अधिकारियों की आधी-अधूरी तैयारी पर मुख्यमंत्री ने निलंबन तक की चेतावनी दे डाली थी।

परिसंपत्तियों को लेकर अधिकारी कितना सजग हैं, इसकी पुष्टि ताजा मामले से भी हो गई। ऋषिकेश स्थित उत्तर प्रदेश आवास विकास की 13,000 वर्ग मीटर भूमि दिल्ली के एक व्यापारी को बेच दी गई। इतना ही नहीं, इसकी रजिस्ट्री भी कर दी गई। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी अधिकारी को भनक तक नहीं लगी। मामले को पकड़ा शहरी विकास व आवास मंत्री मदन कौशिक ने। उन्होंने इस मामले में पूरी पत्रावली तलब की है।

मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने किसी तरह रजिस्ट्री पर स्टे लिया। हालांकि, स्टे महज फौरी राहत है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में नियमों का पालन भी नहीं किया गया। आमतौर पर इस तरह की भूमि को बेचने के लिए सार्वजनिक सूचना जारी की जाती है और खुली बोली के माध्यम से जमीन की बिक्री की जाती है। इतना ही नहीं, इसके लिए उत्तराखंड सरकार से भी अनुमति की जरूरत होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया।

इस मामले में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि करोड़ों रुपये की इस भूमि को गुपचुप तरीके से ठिकाने लगाया गया। संज्ञान में मामला आने के बाद  इसकी पत्रावली तलब कर ली है। जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल रजिस्ट्री पर स्टे लिया गया है।

इसके साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे और मामलों पर भी नजर रखें। हो सकता है कि पूर्व में भी इस तरह से परिसंपत्तियों को ठिकाने लगाया गया हो। उसकी भी जांच कराई जाएगी।

  • संपादक कविन्द्र पयाल

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