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देश में होगा बड़ा बदलाव, अब बचेंगे केवल 12 सरकारी बैंक

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में इसके पांच सहयोगी बैंकों के विलय की प्रक्रिया केंद्र सरकार की उम्मीदों से भी बेहतर रही है। ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विलय के काम को अब ज्यादा दिनों तक रोकने की मंशा सरकार की नहीं है।

वित्त मंत्रालय के आला अफसर कह रहे हैं कि विलय प्रस्ताव बैंकों की ओर से आएगा, मगर हकीकत यह है कि बैंकिंग विभाग में कुछ बैंकों के विलय को लेकर बेहद तेजी से फाइलें आगे बढ़ रही हैं। इसके तहत देश के तीन बड़े बैंकों पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) के नेतृत्व में विलय की गाड़ी आगे बढ़ेगी।

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार विलय को लेकर बहुत आक्रामक तरीके से अभी नहीं बढ़ रही है, लेकिन यह सच है कि अब इसे ज्यादा दिनों तक लटकाने की सोच भी नहीं है। बैंक विलय को लेकर जो भी भ्रांतियां थीं, वे एसबीआई में सहयोगियों के मिलने के साथ खत्म हो गई हैं।

पीएनबी, केनरा बैंक व बीओआई के नेतृत्व में तीन अलग-अलग विलय व अधिग्रहण प्रस्तावों पर प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। इसमें पहले किसकी घोषणा होगी यह बैंकों के बीच अपने स्तर पर विचार-विमर्श के बाद तय होगा। लेकिन अगले कुछ हफ्तों के भीतर ही इस सदंर्भ में अहम घोषणा हो सकती है।

हां, इतना तय है कि किसी मजबूत बैंक पर कोई बेहद कमजोर बैंक नहीं थोपा जाएगा। मजबूत बैंक में अगर छोटे या मझोले स्तर के बेहतर संभावनाओं वाले बैंक का विलय किया जाए तो वह ज्यादा बेहतर परिणाम दे सकता है।

पहले चरण में 21 मौजूदा सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर 12 करने की सोच के साथ आगे बढ़ा जा रहा है। साथ ही पहले चरण में यह भी देखा जाएगा कि एक ही तरह की तकनीकी (आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर) इस्तेमाल करने वाले बैंकों के विलय की राह खोली जाए। इससे तकनीकी तालमेल बिठाने में बैंकों को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। इससे विलय प्रक्रिया जल्दी पूरी होगी। दूसरे चरण में इन बैंकों की संख्या और घटाई जा सकती है। सरकार मानती है कि देश में 5-6 से ज्यादा सरकारी बैंकों की जरूरत नहीं है।

देश में सरकारी बैंकों के आपस में विलय की योजना पर 15 वर्षों से विचार किया जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के निर्देश पर भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने वर्ष 2003-04 में एक प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन यूनियनों के भारी विरोध को देखते हुए सरकार आगे नहीं बढ़ सकी।

उसके बाद संप्रग-दो में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तत्कालीन वित्त सचिव अशोक चावला की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने छह बैंकों में सभी अन्य सरकारी बैंकों के विलय का खाका तैयार किया था। तब पहली बार एसबीआइ में इसके दो सहयोगी बैंकों का विलय भी किया गया था। लेकिन बात फिर लटक गई। अब वित्त मंत्री अरुण जेटली स्वयं सरकारी बैंकों में विलय को प्राथमिकता के तौर पर ले रहे हैं।

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