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परमाणु हथियार प्रतिबंध करार का हिस्सा नहीं बनेगा अमेरिका

वाशिंगटन  इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपंस (आइसीएएन) को वर्ष 2017 का शांति का नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद भी परमाणु हथियार संपन्न देश अमेरिका के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि वह परमाणु हथियार को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित करने वाले करार का हिस्सा नहीं बनेगा।

हालांकि आइसीएएन की लगातार कोशिशों से संयुक्त राष्ट्र के 122 सदस्य देशों ने परमाणु हथियार को प्रतिबंधित करने वाले समझौते को स्वीकार कर लिया है। इसपर और पचास देशों के हस्ताक्षर के बाद यह अमल में आएगा, लेकिन अमेरिकी रुख से करार के प्रभावी होने की संभावना बेहद कम है। रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल व उत्तर कोरिया ने भी करार से दूरी बना रखी है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘इस घोषणा (नोबेल का शांति पुरस्कार) से संधि के प्रति अमेरिका के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। अमेरिका न तो इसका समर्थन करता है और न ही ‘परमाणु हथियार निषेध संधि’ पर हस्ताक्षर करेगा। करार से दुनिया ज्यादा शांतिपूर्ण नहीं हो पाएगी। इसकी मदद से एक भी परमाणु हथियार को खत्म नहीं किया जा सकेगा। साथ ही किसी भी देश की सुरक्षा भी नहीं दुरुस्त होगी।’

विदेश विभाग के प्रवक्ता ने मौजूदा परमाणु अप्रसार संधि के तहत ही काम करने की बात कही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका मौजूदा व्यवस्था के तहत ही परमाणु हथियार निरस्त्रीकरण के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में काम करता रहेगा।

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