राजनीति

पीएम ने मंत्रिपरिषद को आठ समूहों में बांटा, ताकि योजनाओं की देरी का दर्द न सहें लोग

लीक से हटकर साहसिक फैसले लेने और जोखिम उठाने के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के कामकाज को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने और आम लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए एक नया प्रयोग शुरू किया है। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सभी 77 मंत्रियों को आठ समूहों में बांट दिया है और हर समूह को सरकारी परियोजनाओं के तेज क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है।

प्रत्येक समूह में युवा पेशेवरों और रिटायर हो चुके अधिकारियों को भी शामिल करने के साथ ही अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का भी भरपूर उपयोग करने की भी योजना बनाई है। सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक समूह में दो नए मंत्री, कुछ पुराने मंत्री और कुछ राज्यमंत्री शामिल किए जाएंगे। हर समूह में नौ से 10 मंत्रियों को रखा जाएगा। इसके अलावा तीन युवा पेशेवर और कम से कम दो रिटायर अधिकारी भी होंगे, ताकि उनके अनुभवों का फायदा उठाया जा सके। प्रत्येक समूह में समन्वय की जिम्मेदारी एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री की होगी।कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए प्रत्येक मंत्री के दफ्तर में एक पोर्टल बनाया जाएगा। उसके जरिये केंद्रीय योजनाओं की प्रगति के बारे में लगातार जानकारी तो मिलेगी ही उसपर निगरानी भी रखी जा सकेगी।

सभी जिलों, राज्यों और मंत्रालयों की प्रोफाइल भी तैयार की जाएगी और हितधारक सहभागिता कार्यक्रम विकसित किए जाएंगे। दरअसल, हाल में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के पांच अहम बैठकें की थीं, जिन्हें चिंतन शिविर का नाम दिया गया था। ये शिविर व्यक्तिगत दक्षता, केंद्रित कार्यान्वयन, मंत्रालय के कामकाज, हितधारक से जुड़ाव, पार्टी समन्वय और प्रभावी संचार एवं संसदीय प्रथाओं पर थे। प्रत्येक चिंतन शिविर करीब पांच घंटे तक चला था। इसी के बाद मंत्रियों को आठ समूहों में बांटने का यह कदम उठाया गया है। आखिरी चिंतन शिविर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी भाग लिया था।इन बैठकों में प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से लोक कल्याण की दिशा में फैसले लेने के लिए सुझाव भी मांगे थे।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए इस तरह की बैठकों को लेकर अपने अनुभव भी साझा किए थे। जिन लोगों ने सुझाव दिए थे उन्हीं में से कुछ को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि इनमें हरदीप सिंह पुरी, नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर, स्मृति इरानी और धर्मेद्र प्रधान भी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि समूहों का गठन उस दिशा में एक और कदम है, जिसके तहत मोटे तौर पर मंत्रियों का दृष्टिकोण अधिक व्यावहारिक बनाकर शासन में समग्र सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि आम लोगों को केंद्रीय योजनाओं में देरी का दर्द नहीं सहना पड़े।

कारपूलिंग से शिविर में पहुंचे थे मंत्री

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सभी चिंतन शिविरों में शामिल होने के लिए कैबिनेट मंत्री कारपूलिंग कर पहुंचे थे। उनके साथ उनके मंत्रालय के सहयोगी मंत्री के साथ ही दूसरे मंत्रालय के सहयोगी भी थे।

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