बाल आश्रम में यह कैसा न्याय, बच्चे कर रहे बर्तन साफ; उठा रहे गोबर
देहरादून : उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के औचक निरीक्षण में एक कड़वा सच सामने आया है। दरअसल, कड़वा पानी क्षेत्र में संचालित हो रहे हरि ओम आश्रम में तमाम खामियां पाई गईं। आयोग की टीम को बाल आश्रम में बच्चे बड़े-बड़े पतीले साफ करते और गोबर उठाते मिले। इस पर आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई और व्यवस्थाएं दुरुस्त न करने पर आश्रम का पंजीकरण निरस्त कराने की चेतावनी दी।
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम अचानक हरि ओम आश्रम पहुंची। इस दौरान आयोग ने पाया कि आश्रम में बच्चों को बिना जिला बाल कल्याण समिति की अनुमति के रखा गया है, जो कि कानूनन अपराध है। इसके साथ ही 30 बालक, 27 बालिकाओं को एक ही परिसर में रखा गया था और एक बिस्तर में तीन-तीन बच्चों को सुलाने की व्यवस्था की गई थी।
आश्रम परिसर में 10 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चे भोजन पकाने के बड़े-बड़े पतीले साफ करते भी पाए गए, इसपर आयोग की टीम ने नाराजगी जतार्इ। वहीं आश्रम की गोशाला के बारे में जानकारी प्राप्त करने पर आयोग की टीम को पता चला कि इसकी देखभाल भी बच्चों से कराई जाती है और कुछ बच्चे गोबर साफ करते भी पाए गए।
आश्रम में बिजली भी व्यवस्था भी बदहाल पाई गई, जगह-जगह बिजली के स्विच और बोर्ड टूटी हालत में मिले। इससे बच्चों को करंट लगने का खतरा भी बना है। यहां तक कि खान-पान का इंतजाम भी आश्रम में मानकों के विपरीत पाया गया।
आश्रम में फैली अव्यवस्थाओं पर प्रबंधक से पूछताछ की गई तो उन्होंने अटपटा जवाब देते हुए कहा कि गुरुकुल पद्वति के हिसाब से बच्चों को तमाम व्यवस्थाएं स्वयं देखनी होती हैं। आयोग ने आश्रम प्रबंधक को व्यवस्थाओं में सुधार के लिए तीन माह का समय देते हुए चेताया कि अपेक्षित सुधार न होने पर आश्रम का पंजीकरण निरस्त करा दिया जाएगा।
जंगल के बीच बिना चाहरदीवारी के है आश्रम
आयोग के सदस्यों के मुताबिक हरि ओम आश्रम जंगल के बीच है और इसमें चारदीवारी भी नहीं बनाई है। ऐसे में आयोग ने बच्चों को जंगली जानवरों से खतरा बताते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश भी जारी किए।
वहीं आयोग की औचक निरीक्षण करने वाली टीम में आयोग सदस्य शारदा त्रिपाठी, शैलेंद्र शेखर करगेती, बचपन बचाओ आंदोलन के राज्य समन्वयक सुरेश उनियाल, बाल सुरक्षा अधिकारी संपर्णा भट्ट, सब इंस्पेक्टर विनोद रावत आदि शामिल रहे।