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भविष्य पुराण में 12 प्रकार के श्राद्धों का है वर्णन, जानिए

देहरादून : श्रद्धया इदं श्राद्धम अर्थात प्रेत और पितर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। ‘भरत कीन्ही दशगात्र विधाना ‘ ऐसा ‘रामचरित मानस ‘ में भी उल्लेख है, जो इस धार्मिक अनुष्ठान की प्रामाणिकता सिद्ध करता है। सनातनी परंपरा में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु के उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए शास्त्रों में उनके श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है।

त्रिविधं श्राद्ध मुच्यते के अनुसार ‘मत्स्य पुराण’ में तीन प्रकार के श्राद्ध बताए गए हैं, जिन्हें नित्य, नैमित्तिक एवं काम्य श्राद्ध कहते हैं। ‘यम स्मृति’ में पांच प्रकार के श्राद्धों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि और पार्वण श्राद्ध नाम से जाना जाता है।

जबकि, विश्वामित्र स्मृति, निर्णय सिंधु व भविष्य पुराण में 12 प्रकार के श्राद्धों का वर्णन हुआ है। ये हैं नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिंडन, पार्वण, गोष्ठी, शुद्धयर्थ, कर्मांग, तीर्थ, यात्रार्थ व पुष्ट्यर्थ।

12 प्रकार के श्राद्ध

  • नित्य श्राद्ध: प्रतिदिन किए जाने वाले श्राद्ध को नित्य श्राद्ध कहते हैं। केवल जल से भी इस श्राद्ध को संपन्न किया जा सकता है।
  • नैमित्तिक श्राद्ध: किसी को निमित्त बनाकर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे नैमित्तिक (एकोद्दिष्ट) श्राद्ध कहते हैं।
  • काम्य श्राद्ध: किसी कामना की पूर्ति के निमित्त किया जाने वाला श्राद्ध काम्य श्राद्ध के अंतर्गत आता है।
  • वृद्धि श्राद्ध: किसी मांगलिक प्रसंग में पितरों की प्रसन्नता के लिए जो श्राद्ध होता है उसे वृद्धि श्राद्ध (नांदी श्राद्ध या नांदीमुख श्राद्ध) कहते हैं।
  • पार्वण श्राद्ध: किसी पर्व जैसे पितृपक्ष, अमावस्या, पर्व की तिथि आदि पर किया जाने वाला श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाता है।
  • सपिंडन श्राद्ध: सपिंडन शब्द का अभिप्राय है पिंडों को मिलाना अर्थात प्रेत पिंड का पितृ पिंडों में सम्मेलन।
  • गोष्ठी श्राद्ध: जो श्राद्ध सामूहिक रूप से या समूह में सम्पन्न किए जाते हैं, गोष्ठी श्राद्ध हुए।
  • शुद्धयर्थ श्राद्ध: शुद्धि के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध शुद्धयर्थ श्राद्ध कहे गए हैं।
  • कर्मांग श्राद्ध: किसी प्रधान कर्म के अंग के रूप में जो श्राद्ध संपन्न किए जाते हैं, उसे कर्मांग श्राद्ध कहते हैं
  • तीर्थ श्राद्ध: यह श्राद्ध तीर्थ पर जाने के लिए किया जाता है।
  • यात्रार्थ श्राद्ध: यात्रा की सफलता के लिए जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है।
  • पुष्ट्यर्थ श्राद्ध: शारीरिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए किया जाना वाला श्राद्ध पुष्ट्यर्थ श्राद्ध हुआ।

 

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