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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने कार्गो परिवहन में ईंधन अधिभार के मूल्‍य तय करने तथा संशोधन करने के मामले में तीन एयर लाईन कंपनियों पर आर्थिक दंड लगाया

नई दिल्लीः भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने कार्गो परिवहन में ईंधन अधिभार के मूल्‍य तय करने तथा मूल्‍य संशोधन करने के मामले में तीन एयर लाईन कंपनियों पर आर्थिक दंड लगाया है। ईंधन अधिभार माल किराये का एक घटक है।

सीसीआई ने 8 मार्च 2018 को अंतिम निर्णय दिया। यह निर्णय एक्‍सप्रेस इं‍डस्‍ट्री काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जेट एयरवेज, इंटर ग्‍लोब एविएशन, स्‍पाईस जेट, एयर इंडिया और गो एयर लाईन्‍स के खिलाफ शिकायत के आधार पर किया गया। शिकायतकर्ता ने इन पांचों एयरलाईन कंपनियों पर यह आरोप लगाया था कि उन्‍होंने आपस में मिलकर मूल्‍य नियंत्रित किया है।

अपने निर्णय में सीसीआई ने कहा कि उक्‍त एयर लाईन कंपनियों ने सम्मिलित प्रयास करके एफएससी दरों को नियंत्रित किया है और इसे संशोधित किया है। इस प्रकार यह अधिनियम के खंड-।।। के प्रावधानों का उल्‍लंघन है जिसमें सम्मिलित होकर मूल्‍य नियंत्रण करने का निषेध है।

जेट एयरवेज, इंटर ग्‍लोब एविएशन और स्‍पाईस जेट पर क्रमश: 39.81 करोड़ रूपये, 9.45 करोड़ रूपये तथा 5.10 करोड़ रूपये का आर्थिक दंड लगाया गया है। इन एयर लाईन कंपनियों को इस तरह के कार्यों को बंद करने और इनसे दूर रहने का भी आदेश जारी किया गया है।

आर्थिक दंड निर्धारण करने के दौरान आयोग ने कंपनियों के टर्नओवर और एयर कार्गो परिवहन से प्राप्‍त राजस्‍व को आधार बनाया है। एफएससी कुल कार्गो राजस्‍व का 20 – 30 प्रतिशत होता है। आयोग ने कंपनी के पिछले तीन वित्‍तीय वर्षों के दौरान औसत टर्नओवर (कार्गो राजस्‍व के संदर्भ में) पर 3 प्रतिशत की दर से दंड लगाया है।

सीसीआई ने एफएससी में मूल्‍य निर्धारण प्रणाली की अनुम‍ति प्रदान की थी ताकि ईंधन की कीमत की अस्थिरता को कम किया जा सके।

आयोग ने यह आदेश वाद संख्‍या 30 – 2013 में दिया है। इस आदेश की प्रतिलिपि को सीसीआई की वेबसाइट www.cci.gov.in पर अपलोड किया गया है।

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