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मंत्रिमंडल ने पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में फसल अवशेषों के यथास्‍थान प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी प्रोत्‍साहन को मंजूरी दी

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने पंजाब, हरियाणा , उत्‍तर प्रदेश और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में फसल अवशेषों के यथास्‍थान प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी प्रोत्‍साहन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है।

केंद्रीय निधियों के लिए कुल खर्च 1151.80 करोड़ रुपये होगा। (591.65 करोड़ रूपये 2018-19 में और 560.15 करोड़ रुपये 2019-20 में)।

योजना के घटक

  1. यथास्‍थान अवशेष प्रबंधन मशीनरी के कस्‍टम हायरिंग के लिए कृषि मशीनरी बैंक की स्‍थापना। किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ, स्‍वसहायता समूहों, पंजीकृत किसान समितियों/किसान समूहों, निजी उद्यमियों, महिला किसान समूहों को फार्म मशीनरी बैंक अथवा कस्‍टम हायरिंग केंद्र स्‍थापित करने के लिए परियोजना लागत के 80% की दर पर वित्‍तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  2. यथास्‍थान अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि मशीनरी तथा उपकरण खरीद के वित्‍तीय सहायता। व्‍यक्तिगत किसान को कृषि अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी/उपकरणों की 50% लागत की दर से वित्‍तीय सहायता प्रदान की जायेगी।
  • यथास्‍थान फसल अवशेष प्रबंधन पर जागरूकता के लिए सूचना, शिक्षा तथा संचार प्रसार। राज्‍य सरकारों, केवीके, आईसाीएआर संस्‍थानों, केंद्र सरकार के संस्‍थानों, सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों इत्‍यादि को सूचना, शिक्षा तथा प्रचार-प्रसार के कार्यकलापों के लिए वित्‍तीय सहायता प्रदान की जायेगी। इन गतिविधियों  में लघु तथा दीर्घावधि फिल्‍मों, वृतचित्रों, रेडियों और टीवी कार्यक्रमों, विभिन्‍न स्‍तरों पर प्रदर्शन शिविरों, प्रतिभा विकास कार्यक्रमों, प्रिंट मीडिया में विज्ञापन, स्‍टार अभियान, कोई भी अवशेष न जलाने के लिए ग्राम/ग्राम पंचायत के लिए पुरस्‍कार, दूरदर्शन, डीडी किसान तथा अन्‍य निजी चैनलों पर पैनल चर्चा के माध्‍यम से जन जागरूकता अभियान शामिल हैं।

लाभार्थी

  1. संबंधित राज्‍य सरकारें जिला स्तरीय कार्यकारी समितियों (डीएलईसी) के माध्यम से विभिन्न लाभार्थियों और स्थान- कृषि प्रणाली पर निर्भर विशेष कृषि उपकरण की पहचान करेगी और कस्टम हायरिंग और व्यक्तिगत मालिक स्वामित्व के आधार पर मशीनों की खरीद के लिए कृषि मशीनरी बैंक स्थापित करने के लिए लाभार्थियों की पहचान और चयन करेगी ताकि पारदर्शी रूप से समय पर लाभ प्राप्त किए जा सकें।
  2. राज्‍य नोडल विभाग/ डीएलइसी लाभार्थी की ऋण आवश्‍यकता के लिए बैंकों के साथ गठबंधन करेंगे। चयनित लाभार्थियों के नाम एवं विवरण जिला स्‍तर पर दस्‍तावेजों में शामिल किए जायेगें जिसमें उनके आधार/यूआईडी नम्‍बर तथा प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण के माध्‍यम से दी गई वित्‍तीय सहायता दिखाई जाएगी।

कार्यान्‍वयन एजेंसियां

  1. केंद्रीय स्‍तर पर यह योजना कृषि, सहयोग और किसान कल्‍याण विभाग द्वारा प्रशासित होगी।
  2. कृषि सहकारिता और किसान कल्‍याण विभाग के सचिव की अध्‍यक्षता में एक राष्‍ट्रीय संचालन समिति नीति तैयार करेगी और राज्‍य सरकार द्वारा योजना लागू करने के बारे में समग्र निर्देश और दिशा-निर्देश देगी तथा योजना की निगरानी तथा प्रगति और प्रदर्शन की समीक्षा करेगी।
  • अपर सचिव की अध्‍यक्षता में योजना की गतिविधियों की देखरेख कार्यकारी समिति करेगी।
  1. राज्‍य स्‍तर पर संबंधित राज्‍य सरकार अर्थात पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश तथा राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली के राज्‍य कृषि विभाग नोडल कार्यान्‍वयन एजेंसी होंगे। संबंधित राज्‍य सरकारों के प्रमुख सचिव कृषि/कृषि उत्‍पादन आयुक्‍त की अध्‍यक्षता में राज्‍य स्‍तरीय कार्यान्‍वयन समितियां (एसएलइसी)नोडल एजेंसियों तथ अन्‍य संबंधित विभागों के साथ नियमित बैठकें करके अपने-अपने राज्‍यों में योजना क्रियान्‍वयन की निगरानी करेंगे और उचित नीति बनाने के लिए कार्यकारी समिति को इनपुट प्रदान करेंगे।
  2. जिला स्‍तरीय कार्यकारी समिति परियोजना तैयार करने, लागू करने और जिलों में निगरानी के उद्देश्‍य को आगे बढ़ाने के लिए उत्‍तरदायी होगी और किसान समूहों/फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए किसानों को सक्रिय बनाने वाले प्रगतिशील किसानों को शामिल करते हुए निगरानी समितियां बनाएगी।
  3. कृषि सहकारिता और किसान कल्‍याण विभाग फसल अवशेष के यथास्‍थान प्रबंधन के लिए मशीन और उपकरण निर्माताओं का मूल्‍य सहित एक पैनल तैयार करेगा।

पृष्‍ठभूमि

2018-19 की बजट घोषणा के अनुसार पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश की सरकारों तथा राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली की वायु प्रदुषण की समस्‍या का समाधान करने तथा फसलों के अवशेषों के यथास्‍थान प्रबंधन के लिए आवश्‍यक मशीनरी पर सब्सिडी के लिए वर्ष 2018-19 से 2019-20 के लिए विशेष नई केंद्रीय क्षेत्र की योजना (100 प्रतिशत केंद्रीय हिस्‍सेदारी) प्रस्‍तावित है।

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