उत्तराखंड विकास खण्ड

यहां युवाओं के संकल्प से सोना उगल रही जमीन

एक ओर जहां युवा खेतीबाड़ी से दूर होकर रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, वहीं पछवादून में कुछ युवाओं ने खेती से जुड़कर अनूठी पहल की है। ये युवा 50 बीघा भूमि पर समूह आधारित जैविक खेती कर पारंपरिक व नगदी फसलों के साथ औषधीय पादपों के उत्पादन के साथ ही मछली व मुर्गी पालन से भी युवाओं को जोड़ रहे हैं।

इसके लिए युवाओं ने तीन वर्ष पूर्व मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी के नाम से संगठन बनाया। यह संगठन युवाओं को खेती से जोडऩे के लिए प्रशिक्षण शिविर भी लगा रहा है। ताकि युवाओं में खेती के प्रति जागरूकता लाई जा सके।

रोजगार के लिए सरकारी तंत्र की ओर निहारने वाले युवाओं के लिए पछवादून की मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी नजीर साबित हो रही है। सोसाइटी से जुड़े आठ युवाओं के समूह ने शिक्षा ग्रहण करने के बाद खुद रोजगार के साधन विकसित करने की ठानी।

इसके लिए उन्होंने रास्ता भी अन्य युवाओं से इतर चुना। उन्होंने तीन वर्ष पूर्व सोसाइटी का गठन किया और फिर ग्रामीण स्तर पर ही समूह आधारित खेती शुरू की। सोसाइटी के अध्यक्ष अमिम रोहिला ने बताया कि छोटे स्तर पर नगदी फसलों के उत्पादन से मुनाफा मिलने के बाद गत वर्ष जून में ढकरानी में 50 बीघा बंजर जमीन दस साल के लिए किराये पर ली गई।

इस जमीन पर उन्होंने नकदी व पारंपरिक फसलों के साथ ही औषधीय पादपों का उत्पादन शुरू किया। एक फसल चक्र में बासमती चावल व गन्ना उगाने के बाद इन दिनों जमीन पर बंदगोभी, टमाटर, गाजर, प्याज व ब्रोकली की फसल लहलहा रही है। इसके साथ ही औषधीय पादपों में चाय, कोल्ड मिंट व पान मसाले में प्रयुक्त होने वाले मिंट, डिटरजेंट व इत्र बनाने में सहायक सिट्रोनेला, कैंसर, उच्च रक्तचाप व मधुमेह में प्रयुक्त की जाने वाली याकून, सर्पगंधा व तुलसी का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

समूह से जुड़े जड़ी-बूटी विशेषज्ञ महेंद्र चौहान, कविता चौहान, भाव ङ्क्षसह व राजेश कुमार ने बताया कि समूह आधारित खेती करने के साथ ही स्थानीय ग्रामीण युवाओं को जैविक खेती, औषधीय पादपों की जानकारी व प्रशिक्षण देकर उन्हें कृषि से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही मछली पालन व मुर्गी पालन के माध्यम से उन्हें स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

इसके लिए समूह ने दो तालाबों में मछली पालन भी शुरू किया है। बहरहाल! रोजगार की तलाश में गांवों से युवाओं के तेजी से हो रहे पलायन के बीच पछवादून के युवाओं का समूह अन्य युवाओं के लिए भी नजीर साबित हो रहा है।

 

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