उत्तर प्रदेश

राहुल की अमेठी के ‘कामगारों’ को भाया मोदी का गुजरात

अमेठी  गुजरात चुनाव में सबसे अधिक किसी की चर्चा है तो वह अमेठी है। वही अमेठी जिसे सियासी मानचित्र पर कांग्रेस के अभेद्य दुर्ग के रूप में पहचान मिली हुई है और वर्तमान में यह राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है।  भाजपा ने गुजरात के चुनावी रण में राहुल गांधी के हर सियासी वार को उनके ही सियासी गढ़ अमेठी के अस्त्र से काटने की योजना बनाई है। मोदी, शाह व स्मृति पहले से अमेठी का नाम लेकर राहुल पर हमलावार हैं और अब निकाय चुनाव में जायस व अमेठी में जीते योद्धाओं को गुजरात में चुनाव प्रचार में उतारने का ताना-बाना बुना जा रहा है।

जगदीशपुर के विधायक व योगी सरकार में मंत्री सुरेश पासी रणनीति के तहत गुजरात पहुंच गए हैं तो पीएम मोदी ने अमेठी में निकाय चुनाव जीते महेश व चंद्रमा देवी को दिल्ली में मंगलवार को चाय पर बुलाया है। चुनाव गुजरात में हो रहे हैं, लेकिन शोर अमेठी के नाम का है। कभी अमेठी से रोजगार की तलाश में गए लोगों की चर्चा होती है तो कभी अमेठी के पिछड़ेपन का मुद्दा उछलता है।

अनदेखी बन गई जंजाल 
अमेठी के विकास के लिए यूपीए सरकार में अरबों की योजनाएं अमेठी आईं, लेकिन अपनों की अनदेखी के चलते कुछ जमीन पर उतरीं तो कुछ अब भी अधर में ही अटकी हैं। ङ्क्षहदुस्तान पेपर मिल, मेगा फूड पार्क जैसी योजनाओं को जमीन ही नहीं मिली। इन विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में हुई चूक अब सवाल बनकर खड़ी हो गई है।

स्मृति ने अमेठी के पिछड़ेपन को बनाया हथियार
अमेठी में विकास कार्यों की अनदेखी को ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हथियार बना लिया है। गुजरात व अमेठी से एक साथ उनके जुड़ाव ने कुछ ऐसी कहानी बनाई है कि गुजरात में भी अमेठी-अमेठी की गूंज सुनाई पड़ रही है। इस गूंज का फायदा किसको मिलता है, यह तो वक्त ही बताएगा।

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