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रूसी S-400 मिसाइल पर सियासत गरम, प्रतिबंधों को लेकर भारत के पक्ष में सीनेट में उठी आवाज, जानें पूरा मामला

रिपब्लिकन पार्टी के एक शीर्ष सीनेटर ने रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने पर भारत को प्रतिबंधों से छूट देने की बढ़ती मांगों का समर्थन किया है। भारत व दक्षिण पूर्व एशिया का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे टामी टबरविले ने कहा, ‘हम रूस की एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए भारत को प्रतिबंधों से छूट देने का समर्थन करते हैं। भारत के साथ हमारे संबंध मजबूत हो रहे हैं।’ उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने रूस द्वारा भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली दिए जाने पर चिंता जताई है। बाइडन प्रशासन ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) के प्रविधानों के तहत भारत पर प्रतिबंध लागू करेगा या नहीं।

फ‍िर शुरू हुई अमेरिकी प्रतिबंधों चर्चा

बता दें कि रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 की आपूर्ति के ठीक पहले एक बार फ‍िर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चर्चा जोरों पर है। यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, अमेरिका रूसी एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति को लेकर खफा है। भारत और रूस के बीच यह रक्षा सौदा वर्ष 2018 में हुआ था, तब से अमेरिका इस सौदे का विरोध कर रहा है। वह भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दे चुका है। हालांकि, भारत कई बार कह चुका है कि वह रूस के साथ इस समझौते को करने के लिए पूरी तरह से प्रतिद्ध है। सवाल यह है कि आखिर अमेरिका किन प्रावधानों के तहत भारत को यह धमकी देता रहा है। क्‍या सच में अमेरिका इस कानून के जरिए भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है।

अमेरिकी कठोर प्रतिबंधों की संभावना क्‍यों है कम

  • प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि मौजूदा हालात में अमेरिकी प्रतिबंधों की बात थोड़ी कठिन लगती है। उन्‍होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध अब एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। इसलिए भारत पर प्रतिबंधों की बात अब उतनी आसान नहीं है।
  • उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी सीनेट में भारत का पक्ष लेने वाला खेमा काफी मजबूत है। सीनेट में बड़ी संख्‍या में भारतीय समर्थक मौजूद हैं। भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने से पहले बाइडन प्रशासन पर इस लाबी का दबाव रहेगा। इसके अलावा बाइडन प्रशासन और मोदी सरकार के साथ बेहतर संबंध है। ऐसे में यह उम्‍मीद कम है कि बाइडन प्रशासन अमेरिका पर सैन्‍य या आर्थिक प्रतिबंध लगाए।
  • इस समय अमेरिका का पूरा ध्‍यान चीन पर है। अमेरिका कई बार कह चुका है, चीन उसका दुश्‍मन नंबर वन है। महाशक्ति की होड़ में चीन अमेरिका को बड़ी टक्‍कर दे रहा है। चीन से निपटने के लिए भारत अमेरिका का एक बड़ा सहयोगी हो सकता है। क्‍वाड के गठन में यह बात तय हो गई है कि अमेरिका की नई रक्षा रणनीति में भारत कितना उपयोगी है। ऐसे में अमेरिका कभी भी भारत को कमजोर नहीं करेगा। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि आज बाइडन प्रशासन की चुनौतियों को देखते हुए भारत अमेरिका की एक बड़ी जरूरत है।
  • पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने भारत को रणनीतिक साझेदार का दर्जा दिया था। इसके बाद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा समझौतों में काफी तेजी आई है। इसके बाद भारत ने अमेरिका के साथ रक्षा समझौतों को अंतिम रूप दिया है। अगर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाता है तो रणनीतिक साझेदार का दर्जा अपने आप खत्म हो जाएगा। इससे अमेरिका की रक्षा बिक्री को बड़ा झटका लग सकता है।

क्‍या है अमेरिका का प्रतिबंधों वाला कानून

अमेरिका इस कानून की आड़ में किसी भी विरोधी देश या व्‍यक्ति पर प्रतिबंध लगाता है। इस कानून को अमेरिका में काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट (सीएएटीएसए) कहते हैं। सरल शब्‍दों में कहें तो इस कानून का मकसद अमेरिका प्रतिबंधों के जरिए विरोधियों का सामना करना है। अमेरिका ने इसे अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एक दंडात्मक कार्रवाई के रूप में बनाया। 2 अगस्त 2017 को यह कानून अमल में आया। जनवरी 2018 में इसे लागू किया गया था। इस कानून के जरिए अमेरिका दुश्मन देशों ईरान, रूस और उत्तर कोरिया की आक्रामकता का मुकाबला करना है। इस कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति को यह शक्ति हासिल है कि वह अमेरिका विरोधी देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है। राष्‍ट्रपति उन देशों के सैन्य और खुफिया क्षेत्रों से संबंधित व्यक्तियों और देशों पर 12 में से कम से कम 5 को लागू करने की शक्ति देता है। खासकर जिससे अमेरिका को खतरा है। इस कानून के जरिए राष्ट्रपति संबंधित देश पर निर्यात प्रतिबंध भी लगा सकता है। इससे उस देश को अमेरिकी रक्षा और व्यापार से जुड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका ऐसे देशों को परमाणु संबंधी वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा सकता है।

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