उत्तराखंड विकास खण्ड

लावारिस बच्चों को मिलेगी ममता की छांव, समाज कल्याण विभाग बना रहा योजना

समाज कल्याण विभाग की पहल रंग लाई तो प्रदेश के बाल गृह व शिशु गृहों में जीवनयापन कर रहे नाबालिगों को फिर ममता की छांव नसीब हो सकेगी। विभाग ने परिजनों से बिछड़े इन बच्चों के पुनर्वास की तैयारी की है। इस कड़ी में महकमा उन लोगों की तलाश करेगा, जिन्हें बच्चों की जरूरत है।

प्रदेश के शिशु और बाल निकेतनों में फिलहाल तकरीबन 400 बच्चे व किशोर रह रहे हैं। यह वे नाबालिग हैं, जो पुलिस को सड़कों पर लावारिस घूमते मिले। इनमें से अधिकांश के माता-पिता नहीं हैं या फिर वे किसी कारणवश परिजनों से बिछड़ गए। प्रशासन की मदद से इन नाबालिगों को निकेतन में भर्ती करा दिया गया।

शनिवार को किशोर न्याय बोर्ड की बैठक में इन बच्चों व किशोरों के भविष्य को लेकर चर्चा की गई। नियमानुसार सरकारी विभाग इन बच्चों की देखरेख 18 वर्ष तक ही कर सकता है। ऐसे में इसपर मंथन किया गया कि ऐसा क्या जाए जिससे 18 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।

बैठक में फैसला लिया गया कि इसके लिए समाज कल्याण विभाग लोगों से अपील इन बच्चों को गोद लेने की अपील करेगा। यह अपील खासकर उन लोगों से की जाएगी, जिनकी कोई संतान नहीं है या उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इसके लिए जल्द अभियान शुरू किया जाएगा।

 

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