राजनीति

संसद सत्र के लिए सरकार ने बुलाई रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई, जानें किन मुद्दों पर गर्म रहेगा सियासी माहौल

सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक एक दिन पहले यानी रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। इस बैठक में संसद के दोनों सदनों के सभी राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं को आमंत्रित किया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक प्रधानमंत्री के अलावा इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी रहेंगे।

रविवार शाम को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने भी संसद के उच्च सदन में राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई है। इसी तरह 27 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के निचले सदन में सभी दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाने की उम्मीद है। वहीं विपक्ष ने भी सरकार को घेरने के लिए कमर कस ली है। 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के 23 दिसंबर को समाप्‍त होने की संभावना है।

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक इस सत्र में सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने संबंधी विधेयक को संसद के पटल पर रखा जाएगा। सरकार इस सत्र में क्रिप्टो करंसी पर विधेयक (Cryptocurrency Bill) भी पेश कर सकती है। सीबीआइ और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल दो से बढ़ाकर पांच साल करने संबंधी अध्यादेशों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंचनी तय हैं।

विपक्षी दल सरकार के इस कदम को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए संसद से सड़क तक अध्यादेश का जोरदार विरोध करने का एलान कर चुके हैं। विपक्ष की ओर से महंगाई और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने जैसे मुद्दे भी उठाए जा सकते हैं। संसद के इस सत्र में कांग्रेस फिर से पेगासस जासूसी मामला उठाने की तैयारी में है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि बिना तथ्यों वाले इस मामले को उठाने का मकसद संसद में हंगामा करना है।

इस सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने लामबंदी भी तेज कर दी है। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने हाल ही में विपक्षी दलों के एकजुट होने की अपील की थी। उन्‍होंने कहा था कि विपक्षी दल भारत को ‘निर्वाचित तानाशाही’ में बदलने से रोकने के लिए सबकुछ करेंगे। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के सात साल के कार्यकाल में 83 अध्यादेश लाए जाने पर भी सवाल उठाया था।

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