अपराध

होली से पूर्व दो परिवारों के मुखियाओं संग खेली गई थी खून की होली

कोतवाली क्षेत्र के भिखारीपुर निवासी रामसनेही गुप्ता एवं पब्बर मौर्य की निर्मम हत्या के बाद रक्तरंजित नलकूप कक्ष का ²श्य मृतकों के स्वजन को ही नहीं समूचे गांव को 12 वर्ष बाद आज भी याद है। होली से ठीक तीन सप्ताह पूर्व 07 मार्च 2009 को हत्यारों ने खून की ऐसी होली खेला था कि समूचा क्षेत्र सिहर उठा था। मृतक के स्वजन ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर दिल को आत्मिक शांति मिलने की बात कहा है।

मृतक रामसनेही गुप्ता के 42 वर्षीय पुत्र तुलसी गुप्ता ही इस मुकदमे के मुख्य पैरवीकार रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें विपक्षियों ने कई बार जान से मारने की धमकी दिया पर न्यायपालिका पर भरोसा होने के चलते कदम नहीं डिगे। अलबत्ता न्यायालय अकेले जाने की बजाय कई लोगों के साथ ही जाता था। शासकीय अधिवक्ता से मिले भरपूर सहयोग को कभी नहीं भूल सकता। मुकदमें की पैरवी में आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो गई पर इस न्याय ने सब कुछ भूला दिया है। मृतक की बेवा शारदा देवी कहती हैं कि कानून के हाथ वाकई लंबे होते हैं। कानून में ताकत होती है। हत्यारों ने रामसनेही को गोली मारने के बाद रम्भा से मार कर जीवित बचने की हर संभावना को समाप्त कर दिया। बगल में सो रहे पब्बर मौर्य शोर सुनकर बचाव करते, इसके पूर्व ही हमलावरों ने उनका शरीर कुल्हाड़ी से क्षत-विक्षत कर दिया। मौर्य की बेवा शीला मौर्य रोते हुए कहती हैं कि नाहक जान लेने वालों की यही सजा होनी चाहिए। पब्बर के पुत्र प्रह्लाद कहते हैं कि कई बार रास्ते में धमकी मिली पर ईश्वर, न्यायपालिका एवं पुलिस पर पूरा भरोसा था। यह भरोसा आज खरा उतरा है। ग्रामीण बताते हैं कि दोनों के शरीर से प्रवाहित रक्त से पूरा कमरा भर गया था। रक्त बाहर बह कर निर्मम हत्या की दास्तान बता रहा था।

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