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108 आपातकालीन सेवा के चयन में हुई धांधली, कैग रिपोर्ट में खुलासा

हरादून, [सुमन सेमवाल]: जिस आपातकालीन 108 सेवा की खूबियों के बखान करते हुए प्रदेश में कई चुनाव लड़े जा चुके हैं, उसका चयन ही पारदर्शी नहीं रहा। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि आपातकालीन सेवा के लिए जीवीके आपातकालीन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान का चयन वर्ष 2008 में बिना उचित मानदंडों और योग्यता के परीक्षण के बिना ही कर दिया गया। इसके साथ ही कैग ने 108 सेवा को विभिन्न नियमों की कसौटी पर भी परखा और इसके लिए उत्तर प्रदेश के एमओयू को आधार बनाया गया। इस स्तर पर भी कैग ने नियमों की भारी अनदेखी पाई।

महालेखाकार (लेखापरीक्षा) सौरभ नारायण के अनुसार उत्तराखंड में 108 सेवा की संचालक कंपनी का चयन महज इस आधार पर किया गया कि उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में भी यही कंपनी सेवा का संचालन कर रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश ने कंपनी के साथ किए गए एमओयू में तमाम शर्तों को जोड़ा है, जबकि उत्तराखंड में कंपनी के साथ ऐसी कोई शर्त नहीं जोड़ी गई।

हालांकि राज्य सरकार और कंपनी के बीच किए गए एमओयू में यह भी उल्लेख था कि सेवा के संचालन में जो भी खर्च आएगा, उसकी पांच फीसद राशि कंपनी वहन करेगी। इस नियम का अनुपालन कराने में भी राज्य सरकार असफल साबित हुई।

108 आपातकालीन सेवा के संचालन में कंपनी को किए गए भुगतान पर भी कैग ने सवाल खड़े गए हैं। इसके अलावा चिकित्सा सामग्रियों की उच्च दरों पर आपूर्ति, प्रतिक्रिया समय में विलंब, एंबुलेंस का क्रियाशील न रहने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कैग रिपोर्ट में कड़ी टिप्पणी की गई है।

एमओयू में ये शर्ते गायब

-शर्ते, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड

-कार्मिक मानक, लागू, लागू नहीं

-निष्पादन मानक, लागू, लागू नहीं

-रिपोर्टिंग, लागू, लागू नहीं

-अनुश्रवण, लागू, लागू नहीं

-बैंक गारंटी, लागू, लागू नहीं

-दंड, लागू, लागू नहीं

6.83 करोड़ की जगह 49 लाख दिए

कैग रिपोर्ट के मुताबिक 108 आपातकालीन सेवा के संचालन में वर्ष 2008-09 से 2015-16 के बीच 136.60 करोड़ रुपये का खर्च आया। एमओयू की शर्त के अनुसार कंपनी को पांच फीसद की दर से 6.83 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जबकि कंपनी ने पहले साल महज 49 लाख रुपये का ही भुगतान किया।

18.85 करोड़ अवशेष के बाद भी भुगतान

वर्ष 2008-09 से 2015-16 के बीच कंपनी को 172.86 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई। इसके सापेक्ष कंपनी ने 154.01 करोड़ रुपये खर्च किए। अवशेष धनराशि के बाद भी कंपनी को आगे का भुगतान कर दिया गया। 31 मार्च 2016 को भी कंपनी के पास 18.85 करोड़ रुपये शेष थे। कैग ने अवशेष धनराशि के बाद भी नए भुगतान को नियमों के विपरीत बताया।

कैग ने यह भी खामियां पकड़ी

-विभागीय दरों की तुलना में 21.86 से 133.86 फीसद तक उच्च दरों पर चिकित्सा सामग्रियों की खरीद।

-108 सेवा को 12 लाख 83 हजार 821 आपातकालीन कॉल प्राप्त की, जिनमें से 02 लाख 76 हजार 789 कॉल (21.56 फीसद) पर निर्धारित प्रतिक्रिया समय के बाद सेवा दी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समय 35 व शहरी क्षेत्र में 25 मिनट रखा गया है।

-एंबुलेंस के क्रियाशील न रहने से वर्ष 2013-14 से 2015-16 के बीच 1181 कॉल पर प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

-एंबुलेंस के भौतिक सत्यापन में खामी व एंबुलेंस स्टेशन का निर्माण न किया जाना।

 

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