उत्तराखंड समाचार

500 करोड़ का कर्ज लेकर बरस रही दीपोत्सव पर मेहर

देहरादून : दीपावली पर महंगाई भत्ता, बोनस से लेकर निगमों-उपक्रमों को सातवें वेतन की सौगात देकर कार्मिकों पर खुशियां लौटाने का मौका सरकार भले ही चूक न रही हो, लेकिन खराब माली हालत संभले नहीं संभल रही है। नतीजतन एक बार फिर 500 करोड़ का कर्ज लिया गया है। अब तक सरकार बाजार से 2700 करोड़ का कर्ज उठा चुकी है।

‘आमदनी चवन्नी और खर्चा रुपैया’ के दौर से राज्य गुजर रहा है। हालत ये है कि अब एक माह के भीतर दो बार कर्ज लेने की नौबत आ चुकी है। बीते सितंबर माह में सरकार दो बार क्रमश: 400 करोड़ और 500 करोड़ का ऋण लिया था। अक्टूबर माह में भी यही नौबत है।

दिवाली के त्योहारी सीजन में सरकार कर्मचारियों के प्रति खासी मेहरबान नजर आ रही है। सातवें वेतनमान का लाभ अब निगमों-उपक्रमों को दिया जा रहा है, जबकि बीते दिन मंत्रिमंडल ने राज्य की जिला पंचायतों और निकायों को भी सातवां वेतन देने पर मुहर लगा दी है। सरकार के इस फैसले से खजाने पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है। इसकी पूर्ति के लिए सरकार बाजार से उधार लेने को मजबूर है।

दरअसल, राज्य के दो लाख से ज्यादा कार्मिकों के वेतन-भत्तों, मानदेय पर ही कुल बजट का 83 फीसद से ज्यादा खर्च हो रहा है। अपने सीमित संसाधनों के बूते सरकार के लिए इस खर्च को पूरा करने में दिक्कतें पेश आ रही है। रिजर्व बैंक ने राज्य के लिए चालू वित्तीय वर्ष में कर्ज की सीमा 5850 करोड़ से बढ़ाकर 6422 करोड़ कर दी है।

इससे सरकार को राहत भले ही है, लेकिन कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही तक 2200 करोड़ कर्ज लिया जा चुका है। अब फिर 500 करोड़ कर्ज लेने के बाद यह आंकड़ा 2700 करोड़ हो गया है।

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