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57 सालों में सबसे कम हुआ देहरादून का विस्तार

देहरादून : दून पर बढ़ते जनसंख्या के दबाव को उसके सीमित सीमा विस्तार से भी समझा जा सकता है। वर्ष 1961 से लेकर 2011 के बीच जहां राजधानी दून की आबादी में 75.58 फीसद का इजाफा हुआ, वहीं दून का आकार महज 35.31 फीसद की दर से बढ़ पाया। क्षेत्रफल में विस्तार के मामले में दून राष्ट्रीय औसत से लेकर राज्य के प्रमुख मैदानी शहरों से भी पीछे रहा। सीमा विस्तार की यह तस्वीर भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों में पता चली।

आंकड़ों में देश के तमाम शहरों के क्षेत्रफल में वर्ष 1961 से 2011 के बीच आए बदलाव का ब्योरा दिया गया है। इस अंतराल में देश में नगरीय दायरा 62.34 फीसद की दर से बढ़ा। राष्ट्रीय औसत से अधिक रफ्तार से राज्य के कई शहरों का आकार बढ़ा है। इनमें प्रमुख रूप से ऋषिकेश, हल्द्वानी, कोटद्वार जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं।

हालांकि कुल आकार की बात करें तो 125.22 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल के साथ दून पहले स्थान पर है, लेकिन वर्ष 1961 में 81.01 वर्ग किलोमीटर के साथ दून पहले भी नंबर एक पर था। इस लिहाज से दून का विस्तार अपेक्षा से काफी कम नजर आता है। क्योंकि वर्ष 1961 में दून की जो आबादी 1.72 लाख थी वह बढ़कर सात लाख को पार कर गई है।

इस तरह बढ़ा शहरों का आकार

नाम———-1961———-2011———-इजाफा

ऋषिकेश——2.59———26.65———90.29

हल्द्वानी—–10.62——-49.57———-75.58

कोटद्वार——-2.59——–8.69———-70.2

रुद्रपुर———12.43——-27.65———-55.05

विकासनगर—1.40———-3.11———-54.99

रुड़की———-16.19——-33.86———52.19

नोट: क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर व बढ़ोतरी फीसद में है।

पर्वतीय शहरों का विस्तार धीमा

मैदानी क्षेत्रों के शहरों के विस्तार के मुकाबले पर्वतीय शहरों के विस्तार की दर बेहद कम है। पर्वतीय शहरों में प्रमुख रूप से जहां नैनीताल शहर (14.32 वर्ग किलोमीटर), उत्तरकाशी (12.02 वर्ग किलोमीटर) की स्थिति में इंचभर भी इजाफा नहीं हुआ, वहीं गोपेश्वर शहर में यह दर सिर्फ 6.67 फीस रही। पौड़ी में यह विस्तार 1.34 फीसद रही और अन्य प्रमुख शहरों में भी खास विस्तार दर्ज नहीं किया गया।

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