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केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित वेबिनार में 6 राज्यों और 193 निवेशकों ने भाग लिया

नई दिल्ली: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए सभी राज्य और निवेशकों से आगे आने का आह्वान किया है।

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री आज भारत सरकार के राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी इंवेस्ट इंडिया द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रही थीं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर यह दूसरी बैठक थी। इसका पहला संस्करण 22 जून, 2020 को आयोजित किया गया था।

वेबिनार में 6 राज्यों बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के वरिष्ठ नीति निर्माताओं के अलावा 19 देशों की 193 कंपनियों ने भी भाग लिया।

श्रीमती बादल ने कहा कि शुरुआत से ही देश के हर कोने में आवश्यक सामग्रियों विशेष रूप से  भोजन उपलब्ध कराने के सरकारी प्रयासों के कारण ही राष्ट्रव्यापी तालाबंदी सफल रही। उन्होंने कहा व्यापार में गिरावट, पर्याप्त संख्या में श्रमिकों की अनुपलब्धता और जल्दी नष्ट होने वाले खाद्य पदार्थों के बड़ी मात्रा में नष्ट हो जाने जैसी तमाम चुनौतियों के बावजूद खाद्य उद्योग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खाद्य उद्योग में नए नियम स्थापित करके चुनौतियों को अवसरों में बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे माननीय प्रधान मंत्री के आह्वान के अनुरुप ‘आत्म निर्भर’ बनें और ‘लोकल के लिए वोकल बनें’। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में दुनिया के कई नए देश भारत को एक सोर्सिंग हब के रूप में देख रहे हैं  इसलिए, यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करें।

श्रीमती बादल ने मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित कोल्ड चेन में से एक का उदाहरण साझा किया, जिसे नए भौगोलिक क्षेत्रों से फलों और सब्जियों के ऑर्डर मिले हैं। उन्होंने सभी निवेशकों को से अनुरोध किया कि वे नए अवसर के रूप में लो हैंगिंग रेडी टू ईट (आरटीई) श्रेणी पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि भारत के सुपरफूड्स का पश्चिमी दुनिया में प्रचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी राज्यों को अपने स्थानीय लोकप्रिय और पौष्टिक व्यंजनों का प्रचार करने की सलाह दी और कहा कि इन्हें विदेशों में बसे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से एक ब्रांड के रूप में पेश किया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कृषि-खाद्य उत्पादों की पैन इंडिया सूची की निगरानी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक पोर्टल बनाने के लिए आधुनिक तकनीक के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल उद्योग को कच्चे माल पाने में मदद मिलेगी बल्कि निर्यात को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

केंद्रीय मंत्री ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को सुव्यवस्थित रूप देने के लिए 29 जून, 2020 को मंत्रालय की ओर से शुरु की जाने वाली नई योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके जरिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को नयी जानकारियां , किफायती ऋण की उपलब्धता और नए बाजारों तक पहुँचने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कुल रोजगार का 74 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में है। कुल 25 लाख इकाइयों में से जिन 60 प्रतिशत की जानकारी उपलब्ध है वे ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और इनमें से 80 प्रतिशत परिवार के स्वामित्व वाली हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो अपने दम पर आत्मनिर्भर भारत का भविष्य हो सकता है और इस पहल को सफल बना सकता है।

श्रीमती बादल ने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में घोषित राहत पैकेजों में कृषि खाद्य ।  बैठक में प्रतिभागियों को सरकार द्वारा घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए मंत्रालयों / विभागों में सचिवों के समूह (ईजीओएस) और प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल (पीडीसी) के गठन के सरकार के निर्णय के बारे में जानकारी दी गई । निवेशकों को सुनियोजित तरीके से सभी निवेश हितों को सुरक्षित रखने के लिए इन्वेस्ट इंडिया में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए समर्पित निवेश सुविधा सेल के बारे में भी बताया गया।

केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए विशेष रूप से कोल्ड चेन इकाइयों के लिए कृषि दरों के साथ बिजली की दरों को कम करने का आग्रह किया। उन्होंने राज्यों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी।

केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने सभी प्रतिभागियों को निवेश मंच में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया और बताया कि केंद्र और राज्यों की सरकारें सभी निवेशकों के लिए भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में वृद्धि के अवसरों का लाभ उठाने के लिए मजबूत नीतिगत निर्णय ले रही हैं।

बैठक में नीतिगत प्रोत्साहन, औद्योगिक क्षेत्र और अवसंरचना क्षमताओं से लेकर विशेष निवेश सुविधा सेवाओं तक के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई ताकि भारत को दुनिया में निवेश का एक बड़ा केन्द्र बनाया जा सके।

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