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छठ ‘खान एवं खनिज राष्ट्रीय संगोष्ठी’ को संबोधित करते हुए अमित शाह

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज नई दिल्ली में छठी ‘खान एवं खनिज राष्ट्रीय सगोष्ठी’ को संबोधित किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय खान,कोयला एवं संसदीय कार्यमंत्री श्री प्रल्हाद जोशी और केन्द्रीय खान, कोयला एवं रेल राज्यमंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में खान,खनिज और कोयला क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है। किसी भी देश के विकास की कल्पना उसके खदानों और खनिजों के लिए सटीक नीतियों के बिना हो ही नहीं सकती। इसीलिए 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से लेकर आज तक मोदी सरकार ने हमेशा इसे प्राथमिकता वाला क्षेत्र माना है। भारत सरकार ने इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाने, बाधाएं दूर करने और इसे निजी क्षेत्र के लिए कई तरह से खोलने का काम करने के साथ ही इस क्षेत्र के लिए नीति बनाते वक़्त इससे जुड़ी पर्यावरण संबंधी चिंताओं का भी ध्यान रखा है। उन्होने कहा कि अगर ज़मीन से निकलने वाले खनिजों का बहुआयामी उपयोग नहीं होता और देश की औद्योगिक गतिविधि व निर्यात बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल  नहीं होता है, तो ये किसी निजी फ़ायदे के लिए की गई गतिविधि होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नीतियों का निर्धारण इस प्रकार किया है ताकि इन सारे सुधारों और बदलावों से खान,खनिज और कोयला क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बने और ये क्षेत्र हमारे अर्थतंत्र का मज़बूत स्तंभ बनें।

     श्री अमित शाह ने कहा कि कोयला क्षेत्र में दशकों से भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी कर चुका था, पहले की सरकारों में आवंटन को लेकर कोर्ट केस हुए थे, कैग ने सवाल उठाए  थे और कई आवंटन रद्द करने पड़े थे। उन्होने कहा कि खनिज देश की संपत्ति है और इसकी नीलामी इस तरह होनी चाहिए जिससे पारदर्शी तरीके से इसका उपयोग देश के अर्थतंत्र को गति देने के लिए हो। सिर्फ़ राजस्व ही नहीं बल्कि इसके उपयोग का उद्देश्य भी देखना चाहिए और छोटे व मंझोले व्यापारियों को अपने व्यापार का स्केल बढ़ाने का मौक़ा मिलना चाहिए, तभी स्पर्धा होगी और परिणाम मिलेंगे। इन सभी पहलुओं को समाहित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव हुआ,जिसके बहुत अच्छे नतीजे मिले हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के आधार पर खान क्षेत्र में अगर एक प्रतिशत की वृद्धि होती है तो हमारे इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में पौने दो प्रतिशत की वृद्धि होती है, इसीलिए ये प्राथमिकता वाला क्षेत्र होना चाहिए। 130 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में रोज़ग़ार का बहुत महत्व है और ये एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें एक प्रत्यक्ष नौकरी देने से दस अप्रत्यक्ष नौकरियाँ पैदा होती हैं। श्री शाह ने कहा कि उड्डयन और पर्यटन के बाद यह सबसे ज़्यादा रोज़ग़ार सृजन करने वाला क्षेत्र है।

हम सिर्फ raw material के export तक सीमित ना रहें, खनिज संसाधनों से बनने वाले उत्पादों का निर्माण भी भारत में हो और यहीं से फाइनल प्रोडक्ट के रूप में वो विश्व के बाजारों में जाये। पिछले 8 वर्षों में मोदी सरकार ने इसके लिए सटीक नीति व समुचित इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। खनिज उत्खनन बढ़ाने के साथ-साथ इसके उपयोग को मल्टीडायमेंशनल बनाने और इसके उपयोग की ऑप्टिमम कॉस्ट देश के खज़ाने में लाने की ज़रूरत है। ढेर सारा कोयला होने के बावजूद भी इसके सबसे बड़े आयातकों में हम शामिल थे लेकिन आज श्री प्रल्हाद जोशी जी के नेतृत्व में कोयले के आयात को कम से कम करने में हम सफल हुए हैं। मोदी सरकार की नीतियों के कारण खनन क्षेत्र में अब स्पर्धा है,आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का काम हमने किया है और कोयला और खान सेक्टर में भारी निवेश भी आया है। इन सब पहलुओं को नीतियों के तहत हमने बदला है। जिस कोल लिंकेज की बात को कोई सोच नहीं सकता था,उसे हमने करके दिखाया है।

     श्री अमित शाह ने कहा कि खनन और खनिज क्षेत्रों के बिना आत्मनिर्भर भारत संभव नहीं है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला और खनन क्षेत्र के सुधार और इन क्षेत्रों की आत्मनिर्भरता मूल कंडीशन है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने माइनिंग क्षेत्र में पिछले आठ सालों में बहुत सारे परिवर्तन किए हैं। 2014 की पहले आओ, पहले पाओ की नीति की जगह मोदी सरकार ने कोल ब्लॉक आवंटन के लिए नीलामी की व्यवस्था की। इस क्षेत्र में दशकों से भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी कर चुका था, उसे मूल समेत उखाड़ने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। 2015 से 2020 के बीच नीलामी की 10 ऋंखलाएं आयोजित की गईं, 35 कोल ब्लॉक संफलतापूर्वक नीलाम किए गए। कुल 85 ब्लॉक्स आवंटित किए गए थे जिनकी उत्पादन क्षमता 440 मिलियन टन थी। जून, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने व्यावसायिक कोल माइनिंग की शुरूआत की और एक नए युग की शुरूआत की। कोयला क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफ़डीआई का अनुमति दी, रेवेन्यू शेयर में जल्द खनन करने पर 50 प्रतिशत का फ़ायदा दिया,कोल गैसीफ़िकेशन,परित्यक्त खदानों को पुनर्जीवित करना,पीएसयू से अनयूटिलाइज़्ड ब्लॉक्स को सरेंडर कराना और प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलना जैसे कई नीतिगत बदलाव मोदी सरकार ने किए हैं।

     गृहमंत्रीनेकहाकि 2013-14 में 566 मिलियनटनकोयलेकाउत्पादनथावह 2021-22 में 777 मिलियनटनतकपहुंचाऔरऑफ-टेक 572 मिलियनटनथाजो 818 मिलियनटनतकपहुंचाहै।कैपटिवखदानोंमेंसेभी 50% तकबिक्रीकेलिएखोलदीगईहैं,इससेकोयलाआयातकीजगहदेशसेहीआनाशुरूहुआहै।उत्पादनलागतकोनीचेरखनेकेलिएकोलइंडियाआयातितकोयलेको 82% डिस्काउंटपरकोयलाउद्योगपतियों, छोटे, मंझलेउद्योगोंकोदेनेकाकामकरताहैजिसकेकारणआजवैश्विकबाजारमेंवहलोगअपनेआपकोखड़ाकरपातेहैं।उन्होंनेकहाकिडिस्ट्रिक्टमिनरलफ़ंड (DMF) कीस्थापनाकरमोदीजीनेमाइनिंगवालेक्षेत्रोंमेंरहनेवालेभाइयोंबहनोंकोउनकाअधिकारदेनेकाकामकियाहै,इससेउनक्षेत्रोंकासमावेशीविकासहोगा,DMF केअंतर्गतअबतक63,800 करोड़रूपएसेअधिकदिएजाचुकेहै।

श्रीअमितशाहनेकहाकिहमेंपर्यावरणकाभीध्यानरखनाहोगाऔरइसक्षेत्रमेंभीमोदीसरकारनेबहुतकामकियाहै।उन्होंनेकहाकिखानऔरखनिजक्षेत्रकेसाथसाथनरेंद्रमोदीसरकारनेइसकापूराइकोसिस्टमबनायाहैक्योंकिखदानसेखनिजऔरकोयलानिकालनेकेबादबेचनेकेलिएमार्केटकीज़रूरतहै।इसलिएपीएलआईयोजनाकेतहत 14 सेक्टरजोडेगएजिनसेभारतमैन्युफैक्चरिंगहबबनजाएगाऔरइन 14 क्षेत्रोंमेंपीएलआईकेमाध्यमसेलगभग 2.34 लाखकरोड़रूपएकेनिवेशकीसंभावनाओंकोतलाशागयाहैऔरइन्हेंजमीनपरउतारनेकाकाममोदीसरकारनेकियाहै।मैंमानताहूंकिदेशकेअर्थतंत्रकीबास्केटजितनीबड़ीहोगी, हरक्षेत्रकोउसकाउतनाहीफायदामिलेगा।मोबाइलऔरइलेक्ट्रॉनिक्समैन्युफैक्चरिंग, मेडिकलडिवाइसेज, ऑटोमोबाइलऔरऑटोकॉम्पोनेंट, ड्रगऔरफार्मा, स्पेशलस्टील, टेलीकॉमएंडनेटवर्किंगप्रोडक्ट, इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हाइटगुड्स, फूडप्रोडक्ट, टेक्सटाइलप्रोडक्ट्स, एडवांसकेमिस्ट्रीसैलऔरड्रोनसहितकईपीएलआईयोजनाएंभारतसरकारलेकरआईहै।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हम नई ड्रोन नीति, स्वास्थ्य नीति, कमर्शियल कोयल माइनिंग नीति, नेशनल पॉलिसी ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स,मेक इन इंडिया की पॉलिसी लेकर आए, स्किल्ड इंडिया नीति,डिजिटल इंडिया के माध्यम से हर गांव तक कनेक्टिविटी को पहुंचाने का काम किया, उड़ान के माध्यम से एविएशन सेक्टर को आगे बढ़ाने का काम किया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल के माध्यम से मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का प्रयास किया, ग्रीन इंडिया मिशन के माध्यम से पर्यावरण इकोसिस्टम का भी संरक्षण करने का काम किया। आज पूरी दुनिया आश्चर्यचकित होकर देख रही है कि इतने बड़े और विविधताओं वाले देश में जीएसटी कैसे सरलता से लागू हो गया। आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है और 2022 में 8.2 प्रतिशत की दर के साथ हम दुनिया में सबसे स्पीड से ग्रोथ करने वाले देश बन गए हैं। अब तक का सबसे अधिक जीएसटी संग्रह 1.62 लाख करोड़ रूपए को पार कर गया है और अच्छा बिजनेस करने वालों के लिए इतना स्मूथ एटमॉस्फेयर यहां पर मिला है। आजादी से अब तक इतना निर्यात नहीं हुआ जितना 2022 में हुआ, कुल 421 बिलियन डॉलर का निर्यात हमने किया है जिसमें से 254 बिलियन डॉलर सेवा का निर्यात है। यह भारत के आकांक्षी युवाओं के उद्यम का परिचायक है। सबसे ज्यादा एफडीआई 2022 में 81 बिलियन डॉलर भारत में आया है। उन्होंने कहा कि हमारा ग्रोथ रेट 8.2 प्रतिशत है तो यूएसए में 3.7 प्रतिशत, जर्मनी में 2.1 प्रतिशत, चीन में 4.4 प्रतिशत और ब्राजील का 0.8 प्रतिशत है। 2014 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हम तालिका में 142वे नंबर पर थे, आज 63वे नंबर पर हैं। 2014 में जब मोदी जी ने स्टार्टअप इंडिया योजना की शुरुआत की उससे पहले देश  स्टार्टअप थे ही नहीं, लेकिन आज भारत में 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न स्टार्टअप हैं। यह भारत के युवाओं की क्षमता का परिचायक है। ग्लोबल कॉम्पिटेटिव इंडेक्स में हम 71 वें स्थान पर थे,अब 43वें स्थान पर आ गए हैं।

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