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एआईएम-सीरियस नवाचार कार्यक्रम 3.0 के अंतिम कार्यक्रम में भारत और रूस के स्‍कूली छात्रों की शानदार नवाचार सहयोग क्षमता का प्रदर्शन

स्‍कूली छात्रों के लिए 14 दिन तक चला‘एआईएम सीरियस नवाचार कार्यक्रम 3.0’ आज यहां समाप्‍त हो गया। इस कार्यक्रम में भारत और रूस के विभिन्‍न गणमान्‍य व्‍यक्तियों ने भाग लिया और दोनों देशों के छात्रों ने अपने विशिष्‍ट समाधान प्रस्‍तुत किए।

भारत के ‘आत्‍मनिर्भर भारत अभियान’ और रूस के ‘बिग चैलेंजि़ज कार्यक्रम’ से प्रेरित इस वर्ष के संस्‍करण का मुख्‍य केन्‍द्र दोनों देशों में जमीनी स्‍तर की समस्‍याओं के प्रौद्योगिकीय समाधान (वेबआधारित और मोबाइल एप्‍लीकेशन) थे।

      इस अवसर पर अपने संबोधन में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन ने कहा, “इस तरह के कार्यक्रम बहुत मूल्‍यवान हैं क्‍योंकि इनका आधार परस्‍पर सहयोग और विश्‍वास की परम्‍परा और विचारों का आदान-प्रदान है।”

      नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक क्षण है- हमने पिछली पीढ़ी के बीच सहयोग और सहकार देखा है, लेकिन यह सहकार युवा पीढ़ी के बीच है जिनके हाथ में कल नेतृत्‍व होगा।”

      इस कार्यक्रम के दौरान 48 छात्रों ने टीमों के तौर पर संस्‍कृति, दूरस्‍थ शिक्षा, व्‍यवहारिक विज्ञान का ज्ञान प्राप्‍त करने, स्‍वास्‍थ्‍य एवं देखभाल के साथ-साथ खेलों फिटनेस और खेलों में प्रशिक्षण तथा कृत्रिम प्रतिभा विकास एवं डिजिटल वित्‍तीय एसेट्स को बढ़ावा देने के लिए आठ वर्चुअल परियोजनाएं और मोबाइल ऐप्‍लीकेशन बनाए।

      रूस के विज्ञान एवं उच्‍च शिक्षा उपमंत्री एलेक्‍सी मैदवेदेव ने कहा, “विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करने में हमें बेहतरीन अनुभव हुआ। इस कार्यक्रम ने दोनों देशों के बच्‍चों को बहुत ही बेहतरीन अनुभव और जानकारी उपलब्‍ध कराई।”

      इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों द्वारा विकसित नवाचार पहलों में ऐप के विकास, कृत्रिम प्रतिभा, ब्‍लॉक चेन, मशीन के बारे में जानकारी, डाटा एनेलिटिक्‍स और विजुअलाइजेशन, यूआई/यूएक्‍स, वर्चुअल रियलिटी, आगमैंटिड रियलिटी, गैमीफिकेशन, 3डी डिजाइन और रैपिड प्रोटोटाइपिंग शामिल हैं। दोनों देशों के उद्योगों और अकादमिक जगत के मेंटर्स ने इन टीमों के साथ नजदीकी से काम किया।

      एआईएम के मिशन निर्देशक आर रामानन ने कहा, ‘’भविष्‍य की प्रौद्योगिकीयों के इस्‍तेमाल से वि‍कसित समाधान न सिर्फ इन दो देशों के लिए बल्कि पूरे विश्‍व के लिए महत्‍वपूर्ण हैं। ये युवा नवोन्‍मेषक एक नए विश्‍व के शिल्‍पकार होंगे। सह-नवाचार और सहकार भविष्‍य की जरूरत है।”

      टैलेंट एंड सक्‍सेस फांउडेशन की प्रमुख और प्रेसिडेंशल कांउसिल फॉर साइन्‍स एंड एजुकेशन की सदस्‍य एलेना श्‍मेलेवा ने कहा,“एक प्रतिभाशाली युवा की शिक्षा बहुत ही महत्‍वपूर्ण कार्य है और मैं ऐसा सहयोग और अंतरराष्‍ट्रीय सहकार जारी रखना चाहूंगी जो हमारे देशों को एक-दूसरे के और करीब लाए।”

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