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भारत में फार्मा और मेडिकल डिवाइस क्षेत्र में निवेश करने का सबसे अच्छा समय, फार्मा क्षेत्र के 2030 तक 120 बिलियन-डॉलर के उद्योग में विकसित होने की संभावना: श्री गौड़ा

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत में फार्मा और मेडिकल डिवाइस क्षेत्र में निवेश करने का यह सबसे अच्छा समय है। फार्मा क्षेत्र के 2024 तक 65 बिलियन-डॉलर और 2030 तक 120 बिलियन-डॉलर के उद्योग और मेडिकल डिवाइस उद्योग के 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।

श्री गौड़ा कल नई दिल्ली में “सीआईआई लाइफ साइंस कॉन्क्लेव 2020” के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, सरकार द्वारा किए गए व्यापार अनुकूल सुधारों ने भारत को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अच्छे निवेश स्थलों में से एक के रूप में उभरने में मदद की है। वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए नीतियों के कार्यान्वयन और भ्रष्टाचार की जांच करने और श्रम कानूनों व नियमों के अनुपालन में ढील ने भारत को निवेश के लिए सबसे अच्छा गंतव्य बना दिया है। 2018-19 में, भारत ने 73 बिलियन डॉलर का एफडीआई प्रवाह आकर्षित किया, जो पिछले वर्ष से 18 प्रतिशत अधिक है। विशेष रूप से फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, भारत में इस क्षेत्र में निवेश करने का यह सबसे उपयुक्त समय है क्योंकि 2024 में 65 बिलियन-डॉलर के फार्मा उद्योग के 2030 तक 120 बिलियन-डॉलर उद्योग में विकसित होने की संभावना है और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के प्रति वर्ष 28 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है

केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारतीय फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में अगले 4-5 साल में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में योगदान करने की अपार संभावना है। इस संदर्भ में, भारत सरकार पूरे देश में स्टेट ऑफ आर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और विश्व स्तरीय सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस के साथ ​मिलकर तीन बल्क ड्रग और चार मेडिकल डिवाइस पार्क विकासित कर रही है। सरकार घरेलू निर्माताओं को स्तरीय अवसर सुनिश्चित करने के लिए योग्य नई विनिर्माण इकाइयों को उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) भी प्रदान करेगी।

कोविड-19 के संकट की इस घड़ी के दौरान फार्मा उद्योग के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा और चिकित्सा उपकरण उद्योग इस अवसर पर आगे बढ़ने में सक्षम थे। सही नीतियों के माध्यम से मेगा बल्क ड्रग और मेडिकल डिवाइस पार्क का विकास कर संकट को अवसरों में बदला जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी इस अवधारणा की प्रारंभिक अवस्था से स्वयं व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल रहे हैं। उम्मीद है कि बल्क ड्रग एंड मेडिकल डिवाइस पार्क के विकास के लिए केंद्र सरकार की ये योजनाएं 78,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश को आकर्षित करेगी और लगभग 2.5 लाख रोजगार पैदा कर सकती है।

उन्होंने कहा, लाखों भारतीयों के लिए यह बहुत गर्व की बात है कि शुद्ध रूप आयात करने वाले से लेकर, भारत दुनिया में पीपीई किट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया, जिसकी दैनिक उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 5 लाख से अधिक है। इसी तरह, बहुत कम समय के भीतर, वेंटिलेटर की स्वदेशी उत्पादन क्षमता बढ़कर 3 लाख प्रति वर्ष हो गई है। हमने एन-95 मास्क के उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता हासिल की है।

श्री गौड़ा ने कहा कि दवाओं के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में से एक के रूप में बने रहने के लिए फार्मा उद्योग के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। जब तक हम नई दवा की खोज या भारत में नई खोज नहीं करेंगे तब तक विकास की पूरी संभावना का पूरी तरह से दोहन नहीं हो सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारतीय फार्मा क्षेत्र कोविड-19 के लिए कम लागत वाले टीकों का विकास और आपूर्ति करने वाले पहले देशों में से एक होगा।

उन्होंने कोविड-19 के बाद भारतीय फार्मा सेगमेंट की प्रतिस्पर्धा के नए युग में प्रवेश करने में मदद करने के लिए दुनिया भर में हितधारकों को आवश्यक मंच प्रदान करने और उनके विचारों को शामिल करने के लिए सीआईआई लाइफ साइंसेज कॉन्क्लेव के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर निवर्तमान सचिव और नए ट्राई अध्यक्ष श्री पी. डी. वाघेला,  बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. वीजी सोमानी, सिप्ला लिमिटेड के कार्यकारी उपाध्यक्ष सुश्री समीना हामिद, सीआईआई बॉयो टेक्नोलॉजी कमेटी के अध्यक्ष डॉ. राजेश जैन, सीआईआई कमेटी ऑफ फार्मा के अध्यक्ष श्री जी वी प्रसाद, सीआईआई कमेटी ऑफ फार्मा एंड कैप्टनस ऑफ इंड्रस्टी के उपाध्यक्ष श्री विवेक कामथ उपस्थित थे।

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