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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एस के बरुआ द्वारा तैयार की गयी अध्ययन-रिपोर्ट को श्री धर्मेन्द्र प्रधान को सौंपा गया

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना पर आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एस के बरुआ द्वारा तैयार की गयी अध्ययन-रिपोर्ट को पंजीकरण के बाद पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान को आज सौंप दिया गया।

अध्ययन-रिर्पोट का शीर्षक ‘लाइटिंग अप लाईव्ज थ्रू कुकिंग गैस एंड ट्रांसफॉर्मिंग सोसाइटी’ है और इसमें देश के सबसे बड़े सामाजिक परिवर्तन कार्यक्रमों में शामिल प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का सफर पेश किया गया है। यह रिर्पोट देश के एक बड़े अकादमीशियन प्रोफेसर एस के बरुआ ने तैयार की है, जो आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व निदेशक हैं। इस अध्ययन में दिखाया गया है कि किस तरह रसोई गैस ने गरीबों के जीवन को बदला और सामाजिक-आर्थिक समावेश के जरिए उन्हें शक्ति संपन्न बनाया।

इस अवसर पर श्री प्रधान ने कहा कि यह योजना सरकार, तेल कंपनियों, वितरकों, बैंकों और उपभोक्ताओं सहित सभी हितधारकों के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था, समाज, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह योजना इस बात की मिसाल पेश करती है कि प्रतिबद्धता, अच्छी नियत, नेतृत्व और दृढ़ता से चुनौतियों पर विजय पाई जा सकती है। उन्होंने प्रोफेसर बरुआ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल योजना की गहराई से जांच की बल्कि आगे का रास्ता भी दिखाया। श्री प्रधान ने कहा कि अगले वित्त वर्ष तक सरकार 8 करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य पूरा कर लेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की यह इच्छा है कि योजना देश के गरीबों के जीवन में रचनात्मक बदलाव लाएगी। उन्होंने कहा कि एक ऐसी वित्तीय योजना लाई जा सकती है, जिससे गरीबों को सिलेंडर भरवाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इस तरह के प्रयास भी किये जा सकते हैं कि उपभोक्ता जितनी चाहे उतनी गैस सिलेंडरों में भरवा सकें चाहे सिलेंडर का कोई भी आकार हो। मंत्री महोदय ने बायो-गैस, सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के जरिए जो महिलाऐं गैस कनेक्शनों का इस्तेमाल कर रहीं हैं, उन्हें अब अतिरिक्त समय भी मिल रहा है। इस तरह वे अतिरिक्त समय में प्रशिक्षण लेकर सामाजिक-आर्थिक उद्यमी बन सकती हैं। उन्होंने इस योजना को सफल बनाने के लिए सभी हितधारकों के गंभीर प्रयासों की सराहना की।

अध्ययन रिर्पोट में योजना के पूरे सफर के बारे में जानकारी दी गयी है और बताया गया है कि इस योजना की बदौलत पहली बार रसोई गैस का इस्तेमाल करने वालों को कितना लाभ हुआ। अध्ययन रिपोर्ट के लेखक और उनके दल ने लाभार्थियों के साथ विस्तार से बातचीत की और यह ब्यौरा तैयार किया कि हाशिये पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए एलपीजी ने कितनी अहम भूमिका निभाई है। अध्ययन रिर्पोट को पंजीकृत कर लिया गया है और अब दुनिया भर के प्रबंधन संस्थानों में उसका उपयोग किया जा सकता है। यह अध्ययन रिपोर्ट अब विश्व के सामने है और वह इस संबंध में भारत के अनुभवों से लाभ उठा सकता है। इस तरह प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना कई देशों के लिए आदर्श के रूप में सामने आएगी।

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