देश-विदेश

सीपेट को एमएसएमई की मदद करने के लिए अपने व्यापक नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहिए: सदानंद गौड़ा

नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी. वी. सदानंद गौड़ा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय पेट्रोरसायन इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) के काम काज की समीक्षा की। बैठक में सीपेट के महानिदेशक ने केन्द्रीय मंत्री के समक्ष कोविड  महामारी के दौरान कौशल, प्रौद्योगिकी सहायता सेवाओं और अनुसंधान के संबंध में संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियाँ की प्रस्तुति दी।

बैठक के दौरान श्री गौड़ा ने सुझाव दिया कि सीपेट को सरकार के “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के अनुरूप पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में मौजूद एमएसएमई के विकास में मदद के लिए अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने सीपेट के महानिदेशक से कहा कि उनके संस्थान को चिकित्सा पेशेवरों को आरोप और सुरक्षा प्रदान करने वाले पीपीई किट विकसित करने का काम करना चा​हिए। केन्द्रीय मंत्री ने देश में कोविड-19 महामारी और उसके चलते हुए लॉकडाउन के बावजूद सीपेट की ओर से जारी प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इच्छा जताई कि सिपेट को अपने ये प्रयास जारी रखने चाहिए ताकि कोविड से निपटने के सरकारी प्रयासों को और सशक्त बनाया जा सके।

रसायन और पेट्रोकेमिकल्स सचिव श्री आर. के. चतुर्वेदी को सीपेट द्वारा की जा रही उन्नत अनुसंधान गतिविधियों तथा विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान जीवाणुरोधी /  पुन: प्रयोग में लाए जा सकने वाले मास्क, वेंटीलेटर स्प्लिटर्स और पीपीई किट आदि विकसित किए जाने के बारे में जानकारी दी गई।

पेट्रो रसायन के संयुक्त सचिव श्री काशी नाथ झा ने बताया कि सीपेट पहले से ही मेडिकल डायग्नोस्टिक्स और मेडिकल रिसर्च जैसे अन्य क्षेत्रों में काम कर रहा है और इस तरह से पॉलिमर में अपनी तकनीकी विशेषज्ञता के माध्यम से “मेडिकल डिवाइस पार्कों के विकास” में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रसायन विभाग के संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार बिस्वास, प्रो एस के नायक और सीपेट के महानिदेशक के साथ ही सीपेट के केन्द्रों के प्रमुख और निदेशकों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में हिस्सा लिया।

विभिन्न सीपेट केंद्रों के प्रमुखों ने कोविड महामारी के दौरान सरकारी प्रयासों में मदद के लिए राज्य / केन्द्र सरकार द्वारा पीपीई किटों की विशेषता निर्धारित करने और उनके सत्यापन से जुड़ी मांग सें संबंधित अपनी गतिविधियों की एक प्रस्तुति दी। इसके अलावा इन केन्द्रों ने उन्नत चिकित्सा निदानों पर अनुसंधान एवं विकास, मॉल्ड्स और डाई तथा सैनिटाइज़र आदि के विकास से जुड़ी अपनी गतिविधियों की जानकारी भी दी।

Related Articles

Back to top button