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सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने की तकनीकी को कंपनियों को हस्तांतरित किया

सीएसआईआर-सीएमईआरआई दुर्गापुर ने संस्थान द्वारा विकसित ऑक्सीजन संवर्धन इकाई की तकनीक को 29 अप्रैल 2021 को सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रो (डॉ.) हरीश हिरानी की वर्चुअल उपस्थिति में मैसर्स ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड, राजकोट और मेसर्स ग्रिड इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम को स्थानांतरित की है।

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इस अवसर पर प्रो. हिरानी ने विशेष रूप से वर्तमान कोविड-19 महामारी के परिदृश्य में ऑक्सीजन की बेहतर वितरण नीतियों की आवश्यकताओं के बारे में उल्लेख किया। औसतन एक व्यक्ति को 5-20 एलपीएम हवा की आवश्यकता होती है। जिसमें उचित प्रतिशत ऑक्सीजन होता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित तकनीक ऑक्सीजन के इन-हाउस संवर्धन प्रदान करती है और बाहरी जरूरतों से स्वतंत्रता प्रदान करती है। साथ ही भारी सिलेंडर को संभालने के जोखिम और कठिनाई को खत्म करती है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित ईओयू रोगियों को तेजी से ठीक करने में मदद कर सकता है।

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प्रो. हिरानी ने यह भी कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने चार उद्योगों को उत्पादन, विपणन और सेवा के लिए लाइसेंस हस्तांतरित कर दिया है। उन्हें विश्वास है कि सभी चार कंपनियां मई 2021 के दूसरे सप्ताह तक ऑक्सीजन का निर्माण करने में सक्षम हो जाएंगी।

गुरूग्राम के मेसर्स जीआरआईडी इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री गुप्ता ने वर्तमान परिदृश्य में उपयोगिता को देखते हुए संस्थान द्वारा विकसित ऑक्सीजन संवर्धन तकनीक की सराहना की। उन्होंने चीन और अमरीका से आवश्यक कंप्रेशर्स के आयात में कुछ अड़चनों पर काबू पाने का भी आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि शुरू में उनकी कंपनी प्रति दिन 25 से 50 यूनिट का उत्पादन कर सकती है और उसके उत्पादन में तेजी लाने की भी कोशिश कर रही है। सीएसआईआर-सीएमईआईआर ने अहमदाबाद की कुछ कंपनियों से भी आपूर्ति का पता लगाने का सुझाव दिया। श्री गुप्ता ने बताया कि उनकी कंपनी बाजार में व्यापक स्वीकार्यता के लिए उत्पाद की सौंदर्यता और डिजिटल कार्यक्षमता पर भी काम करेगी। श्री गुप्ता ने यह भी कहा कि वे पूरे मामले को न केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से बल्कि समाज की सेवा के रूप में भी देख रहे हैं।

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राजकोट के मेसर्स ज्योति सीएनसी ऑटोमेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने तकनीकी स्थनांतरण की पुष्टि करते हुए कहा कि एक सप्ताह के भीतर वे प्रोटोटाइप का निर्माण करेंगे और मांग के अनुसार उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की कोशिश करेंगे। कंप्रेशर निर्माण के लिए उनकी कंपनी के पास भी क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में आवश्यकता बहुत अधिक है वह प्रति दिन 1000 से अधिक यूनिट बनाने की कोशिश करेंगे। और उसके सौंदर्यबोध, लागत और उसकी आवागमन आसान करने के पहलुओं को देखते हुए धातु शीट बॉडी को प्लास्टिक बॉडी में बदलने की योजना बना रहे हैं। मौजूदा परिदृश्य में मांग को पूरा करने के लिए वह 24 घंटे काम कर रहे हैं ताकि यूनिट का तेजी से उत्पादन हो सके जिससे देश की सेवा हो सके।

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