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डॉ. हर्षवर्धन ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् की ओर से वन हेल्थ के नाम से आयोजित संगोष्ठि की अध्यक्षता की

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् की ओर से वन हेल्थ इन इंडिया: अनुसंधान आधारित जैव सुरक्षा तैयारियों और प्रतिक्रिया विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने जर्नल का एक विशेष संस्करण भी जारी किया जिसमें जैव सुरक्षा पर प्रख्यात विशेषज्ञों के मूल लेख, दृष्टिकोण और समीक्षाएं शामिल की गई हैं। इस अवसर पर उन्होंने देश में इको हेल्थ पहल के लिए एक उच्च स्तरीय संचालन समिति के गठन की भी घोषणा की। इस समिति का सचिवालय आईसीएमआर में होगा। इसे नागपुर में स्थापित किए जाने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की ओर से सहयोग दिया जाएगा।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मौजूदा समय इस संगोष्ठि के आयोजन की आवश्यकता पर बोलते हुए कहा, “पूरी दुनिया कोविड-19 के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रही है। ऐसे में यह आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है कि बढ़ते  संक्रमण के खिलाफ भविष्य की आपातकालीन तैयारियों के तरीकों का पता लगाने की पूरी कोशिश की जाए। मनुष्यों और पालतू प​शुओं तथा जंगली जीवों के बीच बढ़ते संपर्कों तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के संदर्भ में मानव स्वास्थ्य को अब अलग रखकर नहीं देखा जा सकता है। इस समय कोविड महामारी इस बात को याद दिलाने से कहीं कुछ ज्यादा है।” उन्होंने आशा व्यक्त इस की कि यह तैयारी भविष्य में ऐसी किसी और महामारी से निबटने में मदगार साबित होगी। डॉ. हर्षवर्धन ने उपस्थित लोगों को यह याद दिलाया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व और अटूट राजनीतिक प्रतिबद्धता की वजह से ही देश आज न केवल कोविड संकट का पूरी ताकत से सामना कर पाया है बल्कि दुनिया में सबसे अधिक तेजी से विकसित अर्थ व्यवस्था भी बन सका है।

इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि जनसंख्या का स्वास्थ्य, जानवरों के स्वास्थ्य और साझा पर्यावरण के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है डॉ. हर्षवर्धन ने कहा “आज के दौर में ज्यादा से ज्यादा लोग पालतू और वन्य जीवों के संपर्क में आ रहे हैं इससे जानवरों से मनुष्यों मे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। आबादी के बढ़ने के साथ ही मानव बसावट का भी विस्तार होता जा रहा है जिसकी वजह से पशुओं और वन्य जीवों के साथ उनका संपर्क भी बढ़ रहा है। दुनिया भर में तरह तरह के फूड फेस्टिवल आयोजित किए जा रहे हैं जिसकी वजह से भी लोगों और पशुओं के बीच संपर्क बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और पर्यटन की वजह से भी इसमें बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में संक्रामक रोग देशों की सीमाओं को पार करते हुए पूरी दुनिया में फैलने लगे हैं। लोगों में होने वाले संक्रमण में से आधे से ज्यादा की पशुओं से होने की संभावना है। हर साल करीब ढ़ाई अरब ऐसे रोगों से लोग संक्रमित होते हैं और करीब 2 अरब 70 लाख को अपनी जान गंवानी पड़ती है”।

केन्द्रीय मंत्री ने संगोष्ठी में विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा करने वाले दुनियाभर से आए विशेषज्ञों और उसे सुनने के लिए आए दर्शकों को बधाई दी। उन्होंने भाषण के समापन पर कहा “यह संगोष्ठि इस सुंदर पृथ्वी पर जिसे हम अपना घर कहते हैं सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षित करने के लिए व्यापक, बहु-हितधारक चर्चा और सहयोग की शुरुआत है।”

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बैठक में स्वास्थ्य अनुसंधान विभग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजयराघवन, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव सी. के मिश्रा, पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डा. आशुतोष शर्मा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डा. रेणु स्वरूप कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव तथा आईसीएआर के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र, वेलकम ट्रस्ट के सीईओ प्रो. जेरेमी फरार, अमरीका के सीडीएस विभाग के स्वास्थ्य अधिकारी निदेशक डॉ. केसी बार्टन और आस्ट्रेलिया के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मार्क शिप्प भी उपस्थित थे।

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