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डॉ. हर्षवर्धन ने सफदरजंग अस्पताल में ऑक्सीजन संयंत्र और निर्माणाधीन नए कोविड वार्डों का निरीक्षण किया

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज सुबह सफदरजंग अस्पताल में नए स्थापित ऑक्सीजन प्लांट और नए कोविड ब्लॉकों के निर्माण में प्रगति का निरीक्षण किया।

अस्पताल में उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार ने कोविड महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस दौरे के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली के डॉक्टरों के साथ हुई बैठक में अस्पताल की कोविड तैयारियों की समीक्षा की।

डॉ. हर्षवर्धन ने अस्पताल के अपने दौरे की शुरूआत में रिकॉर्ड समय में स्थापित प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (पीएसए) ऑक्सीजन संयंत्र सुविधा के कामकाज की समीक्षा की। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बाद नई दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पताल में स्थापित होने वाला यह तीसरा ऑक्सीजन संयंत्र है। 1 मीट्रिक टन क्षमता का संयंत्र डीआरडीओ द्वारा पीएम-केयर्स फंड की सहायता से बनाया गया है। यह कोविड से प्रभावित रोगी को मेडिकल ऑक्सीजन प्रदान करने में अस्पताल के प्रयासों को पूरा करेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश ने कोविड के ऐसे गंभीर मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन संयंत्रों की तेजी से व्यवस्था की है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “सफदरजंग अस्पताल में जल्द ही 2 मीट्रिक टन क्षमता का एक और संयंत्र उपलब्ध होगा, जिससे अस्पताल में ऑक्सीजन की क्षमता और बढ़ जायेगी। इसी तरह, पूरे देश में डीआरडीओ, सीएसआईआर और एचआईटीईसी की मदद से 1051 संयंत्र स्थापित होने की प्रक्रिया में हैं।”

उन्होंने सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीबीआरआई), रुड़की की मदद से बनाए जा रहे निर्माणाधीन नए कोविड ब्लॉक का भी दौरा किया और प्रगति कार्य की समीक्षा की। उन्होंने टीम को इस ब्लॉक को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को उपचार प्रोटोकॉल के अत्याधिक उल्लंघन के कारण देश भर में देखी जा रही कोविड जटिलताओं के बारे में भी सलाह दी। उन्होंने कहा, “लोग स्टेरॉयड की अधिक खुराक ले रहे हैं, भले ही वे हाइपोक्सिक नहीं हो गए हैं। स्टेरॉयड केवल तभी दिया जाना चाहिए जब कोई रोगी हाइपोक्सिक हो, साइड इफेक्ट को रोकने के लिए छोटी खुराक ही दी जानी चाहिए और वो भी कुछ दिनों से अधिक समय तक नहीं। इन दवाओं के उपयोग के लिए डॉक्टर की सिफारिशें जरूरी हैं।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन कदमों से देश भर में म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण के मामलों में कमी आएगी। उन्होंने डॉक्टरों से कोविड रोगियों का इलाज करते समय आईसीएमआर दिशानिर्देशों का पालन करने का भी अनुरोध किया।

इस दौरान मीडिया से बात करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने हाल के दिनों में कोविड मामलों में गिरावट की प्रवृत्ति के बारे में बताया। उन्होंने पिछले 24 घंटों में 3,89,851 ठीक होने की जानकारी दी; पिछले 24 घंटों में नए मरीजों की संख्या कम होकर 2,67,334 हो गई है; जबकि नए मामलों से ठीक होने वालों की संख्या 1 लाख से अधिक है। दैनिक आधार पर ठीक होने वालों की संख्या अब लगातार छठे दिन नए मामलों से अधिक हो गई है, जिसने सक्रिय मरीज़ो की संख्या को कम करने में योगदान दिया है। उन्होंने आज तक सक्रिय मामलों के 32,26,719 होने के बारे में भी बताया।

डॉ. हर्षवर्धन ने नागरिकों से कोविड मामलों को कम करने में उनके योगदान के लिए अपील की: “मास्क पहनना, हाथ की स्वच्छता का पालन करना और व्यक्तियों के बीच सुरक्षित दूरी का पालन करना; अनुशासन में पालन किए जाने पर सभी कोविड उपयुक्त व्यवहार से कोविड पर नियंत्रण में मदद मिलेगी।” उन्होंने लोगों से अपने घरों में रहने और बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलने को कहा।

डॉ. हर्षवर्धन ने सभी कोविड से जान गंवाने वाले लोगों के लिए अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने चिकित्सा समुदाय के जाने-माने लोगों की प्रशंसा की, जिन्होंने हाल के दिनों में कोविड से अपनी जान गंवाई है और कहा, “आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने लोगों के बीच स्वास्थ्य शिक्षा को लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया था। डॉ. शेखर अग्रवाल, हड्डी रोग विशेषज्ञ ने हजारों रोगियों का इलाज किया, डॉ. पंकज भटनागर ने भी कई कैंसर रोगियों को बेहतर होने में मदद की और हमने उन्हें कोविड से खो दिया है। ”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उन अनगिनत कोविड योद्धाओं को भी याद किया जो ड्यूटी के दौरान शहीद हुए हैं। इस संबंध में उन्होंने मीडिया समुदाय के बलिदान को भी याद किया जिन्होंने श्री सुनील जैन, श्री शेष नारायण सिंह और श्री रोहित सरदाना जैसी उल्लेखनीय हस्तियों को खो दिया है।

स्वास्थ्य मंत्री के दौरे पर डॉ. एस.वी. आर्य, चिकित्सा अधीक्षक, डॉ सर्वेश टंडन, सहायक प्रोफेसर और संस्थान के अन्य वरिष्ठ संकाय / डॉक्टर भी उनके साथ थे।

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