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डॉ. हर्षवर्धन ने एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी), परिष्कृत अगली पीढ़ी एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत की

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) की शुरुआत की। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी उपस्थित थे। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत भी डिजिटल माध्यम के जरिए समारोह में मौजूद थे। एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) की अगली पीढ़ी का अत्यधिक परिष्कृत संस्करण है।

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इस वर्चुअल समारोह में विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इनमें श्री बलबीर सिंह सिद्धू (पंजाब), श्री अलेक्जेंडर लालू हेक (मेघालय), डॉ. के सुधाकर (कर्नाटक), डॉ. प्रभुराम चौधरी (मध्य प्रदेश), श्री जय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश), श्री एटाला राजेंद्र (तेलंगाना), श्री टी एस सिंह देव (छत्तीसगढ़), डॉ. आर लालथंगिलियाना (मिजोरम) और श्री एस पांगन्यू फोम (नागालैंड) उपस्थित थे।

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डॉ हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य एवं प्रौद्योगिकी के वीर, भविष्यवादी और प्रासंगिक एकीकरण पर अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “इस दिन को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, जो रोग निगरानी के इतिहास में एक मील का पत्थर है। हमने भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रक्षेपवक्र में एक नया अध्याय शुरू किया है। भारत इस तरह की उन्नत रोग निगरानी प्रणाली अपनाने वाला विश्व का पहला देश है।” उन्होंने सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म के लिए समय पर जरूरत को लेकर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “आईएचआईपी के नए संस्करण में भारत के रोग निगरानी कार्यक्रम के लिए डाटा इंट्री और प्रबंधन होगा। पहले की 18 बीमारियों की तुलना में अब 33 रोगों पर नजर रखने के अलावा यह डिजिटल मोड में निकट वास्तविक समय के डाटा को सुनिश्चित करेगा, जिसे काम करने के तरीके पेपर-मोड के साथ पूरा किया जाएगा।”

इसे विश्व का सबसे बड़ा ऑनलाइन रोग निगरानी मंच करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के साथ मेल खाता है और वर्तमान में भारत में उपयोग किए जा रहे अन्य डिजिटल सूचना प्रणालियों को लेकर पूरी तरह अनुकूल है। उन्होंने इसकी व्याख्या की कि ऑटोमेटेड-डाटा के साथ परिष्कृत आईएचआईपी वास्तविक समय डाटा संग्रह, एकत्रीकरण और डाटा को लेकर आगे के विश्लेषण में बड़े पैमाने पर मदद करेगा, जो साक्ष्य आधारित नीति बनाने में सहायता करेगा और सक्षम बनाएगा। उन्होंने एनसीडीसी, डब्ल्यूएचओ और उन सभी लोगों को सराहना की जो इस विकास से जुड़े हुए हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आईएचआईपी वास्तविक समय, केस आधारित जानकारी, एकीकृत विश्लेषणात्मक और उन्नत दृश्य क्षमता के लिए विकसित स्वास्थ्य सूचना प्रणाली प्रदान करेगा। यह मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर विश्लेषण रिपोर्ट प्रदान करेगा। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रकोप जांच गतिविधियों की शुरुआत और निगरानी की जा सकती है। वहीं अतिरिक्त विशेष निगरानी मॉड्यूल की सुविधा होने पर इसे आसानी से संचालित अन्य निगरानी कार्यक्रमों के साथ एकीकृत किया जा सकता है।

डॉ. हर्षवर्धन ने आगे कहा कि देश के छोटे से छोटे गांवों एवं प्रखंडों में फैली बीमारी के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताने के लिए इस तरह का एक उन्नत डिजीटल प्लेटफॉर्म किसी भी संभावित प्रकोप या महामारी को शुरुआत में ही निपटने में सहायता करेगा।  उन्होंने उन सभी जमीनी स्तर पर काम करने वालों एवं अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना की, जिन्होंने पिछले साल कोविड महामारी के दौरान पूरे समय कठिन परिश्रम किया। उन्होंने आगे कहा, “भारत ने विश्व को दिखाया है कि एक महामारी के दौरान भी हम ऐसी उन्नत रोग निगरानी प्रणाली विकसित करने में सक्षम हैं।” मंत्री ने आगे बताया कि यह मंच ‘मेक इन इंडिया’ पहल की एक सफल कहानी है और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।

उन्होंने आगे कहा, “सटीक, विश्वसनीय एवं उचित समय पर जानकारी 135 करोड़ की आबादी वाले देश भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुरूस्त सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर भारत की सूचना प्रणाली का ‘हर बार सही आबादी के लिए, सही समय पर सही हस्तक्षेप करने के लिए’ होना जरूरी है। उन्होंने आगे इसका उल्लेख किया कि हालिया वर्षों में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सटीकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लगातार उपयोग बढ़ा है। इसमें रोगजनक जीनोमिक्स, निगरानी सूचना विज्ञान में बढ़ोतरी और लक्षित हस्तक्षेप शामिल हैं। उन्होंने आगे इस बात के लिए सावधान किया कि इस मंच की सफलता मुख्य रूप से राज्यों द्वारा साझा किए गए डाटा की गुणवत्ता पर निर्भर करेगी।

इस दूरदर्शी डिजिटल प्लेटफॉर्म के विकास से जुड़े सभी लोगों को बधाई देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य सेवा में गुणवत्ता के मानकों को स्थापित किया है। उन्होंने आगे कहा, “आईएचआईपी के साथ देश के दूरस्थ क्षेत्रों- गांवों/प्रखंड स्तर से सीधे आने की वजह से प्रामाणिक डाटा का संग्रह आसान हो जाएगा। इसके कार्यान्वयन के साथ हम प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल में आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।”

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने इस बात की जानकारी दी कि निगरानी की भौतिक कवरेज के संदर्भ में, कवर की गई बीमारियों की संख्या और उत्पन्न डाटा की मात्रा के साथ, यह आईएचआईपी को वैश्विक स्तर पर इस तरह के सबसे जटिल स्वास्थ्य प्लेटफॉर्मों में से एक बनाता है। वास्तविक समय में डेटा जमीनी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों द्वारा अपने गैजेट (टैबलेट) के माध्यम से प्रदान करेंगे; जब नागरिक स्वास्थ्य देखभाल पीएचसी/सीएचसी/एसएचडी/डीएच में चाहेंगे, तब डाक्टरों द्वारा उनका डाटा दिया जाएगा और नैदानिक परीक्षण प्रयोगशालाएं अपने यहां किए गए जांचों पर डाटा प्रदान करेंगी।

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भारत के डब्ल्यूएचओ में प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको ऑफरिन ने न केवल भारत बल्कि वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए इसे एक ‘ऐतिहासिक दिन’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह परिष्कृत डिजिटल निगरानी मंच डाटा प्रदान एवं कनेक्ट करने और ‘एक स्वास्थ्य’ दृष्टिकोण की ओर बढ़ने में सहायता करेगा। डॉ. रोडरिको ऑफरिन ने आगे इसका उल्लेख किया कि न केवल प्रोग्रामिंग बल्कि रोग की प्राथमिकता को लेकर भी उचित समय पर स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के उपायों के लिए पोर्टल एक बेहतरीन संसाधन है। उन्होंने समयबद्ध विकास के लिए भारत की सराहना की।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य) श्रीमती आरती आहूजा, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार, संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य) श्री लव अग्रवाल, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत सिंह और भारत के डब्ल्यूएचओ में प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको ऑफरिन भी उपस्थित थे। वहीं राज्यों के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), आयुक्त (स्वास्थ्य), एमडी (एनएचएम) के साथ केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

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