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महाभारत में भी है कोंकण क्षेत्र के हाथियों का वर्णन: हाथी विशेषज्ञ आनंद शिंदे

हाथी-मनुष्‍य के संघर्ष का समाधान हाथी की मानसिकता को समझकर उपाय खोजने से आसान हो जाएगा। ट्रंक कॉल द वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के हाथी विशेषज्ञ आनंद शिंदे ने विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर चांदगढ़, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में मडखोलकर कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हाथी हमें वह जानकारी देते हैं जो आसानी से नहीं मिल सकती। इस अवसर पर उन्होंने गजराज नाम के एक हाथी को शांत करने के अपने अनुभव के अतिरिक्‍त अन्‍य अनुभवों को भी साझा किया। इस गजराज ने ताडोबा में अभयारण्य में तीन लोगों को मार डाला था।

उन्होंने कहा कि महाभारत में भी कोंकण क्षेत्र में हाथियों का उल्लेख मिलता है। महाभारत में एक स्थान पर लिखा है कि अपरांत क्षेत्र के हाथियों का रंग लाल होता है। प्राचीन ग्रंथों में लाल मिट्टी के रंग को हाथियों के रंग से जोड़ा गया है और दोनों के रंग में समानता बताई गई है।  हाथी का स्वभाव, व्यवहार और मानसिक स्थिति मनुष्य के समान ही होती है। हाथी प्रेम, क्रोध, हंसी और उपहास जैसी भावनाओं को आसानी से व्यक्त कर देते हैं। यदि हम इस बुद्धिमान जानवर का संरक्षण चाहते है तो आज हम जो प्रयास शुरू कर रहे हैं, उन्हें सफल होने में कम से कम पांच साल लगेंगे। इस विलक्षण जानवर की इंद्रियां गंध को सात किलोमीटर दूर तक पहचान सकती हैं और ध्वनि तरंगों के माध्यम से सात किलोमीटर तक एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकती हैं जिसे मानव की कर्णेंद्रिया नहीं सुन सकती हैं।

श्री आनंद शिंदे ने कहा कि हमें यह स्‍मरण रखना चाहिए कि हम अपने घरों में तभी सुरक्षित रहेंगे, जब हाथी अपने घर में सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि हाथी की आनुवांशिक स्‍मरण शक्ति  पांच पीढ़ियों तक रहती है। इसलिए कुछ ऐसे क्षेत्रों में हाथी अचानक आ जाते है, जहां अतीत में कभी भी उनका अस्तित्‍व नहीं था और हम आश्‍चर्यचकित रह जाते हैं। ऐसे में यह संभव है कि हाथियों की पहले की पीढ़ियां वहां रहती हों और हाथियों की वर्तमान पीढ़ियां उस क्षेत्र के भूगोल की आनुवाशिक स्मृति का उपयोग करते हुए उस क्षेत्र में पहुंच गई हों, लेकिन हम इस बात से अनभिज्ञ हैं।

इस अवसर पर कॉलेज के प्रधानाचार्य पी.आर पाटिल ने मनुष्यों और जानवरों के संघर्ष में मानव से अधिक समझ की आशा व्यक्त की। उन्‍होंने कहा कि हाथियों के कारण फसलों के नुकसान और किसानों की गंभीर स्थिति की जानकारी सरकार तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

कल 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो  कोल्हापुर और वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालय, चांदगढ़ ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया है। चांदगढ़ में मडखोलकर कॉलेज में विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। मानव एवं वन्य प्राणी संघर्ष के विषय पर विशेषज्ञों के मार्गदर्शन के बाद 20 अप्रैल को आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं का पुरस्‍कृत किया गया और छात्रों ने क्षेत्र में जागरूकता रैली भी निकाली।

इस अवसर पर वन परिक्षेत्र अधिकारी नंदकुमार भोसले, वन्य जीव विशेषज्ञ गिरीश पंजाबी सहित आसपास के गांवों के लोग भी उपस्थित थे।

 ट्रंक कॉल: द वाइल्डलाइफ फाउंडेशन

ट्रंक कॉल द वाइल्डलाइफ़ फ़ाउंडेशन, 70 गांवों में हाथी संरक्षण कार्यक्रम चला रहा है। इनमें महाराष्ट्र वन विभाग द्वारा प्रदान किए गए 50 गांव और 20 अन्‍य गांव शामिल हैं। यह फाउंडेशन हाथी संरक्षण के अतिरिक्‍त  हाथियों और जंगली भैंसों के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान करता है। पिछले 20 वर्षों से इस कार्यक्रम के माध्‍यम से हाथियों के संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे हैं और उनकी मांग की जा रही है। इनमें हाथी – गलियारा प्रदान करना, उनकी समाप्त हो चुकी खाद्य श्रृंखला की बहाली और उनके आवास को सुरक्षित करना है। इन क्षेत्रों में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध, जैव बाड़ लगाने और खाइयों के माध्यम से हाथियों के रास्ते को अवरुद्ध करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है। हाथी और मानव के बीच संघर्ष को कम करने में मदद के लिए संगठन और वन विभाग संयुक्‍त रूप से प्रयास करते रहेंगे।

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