देश-विदेश

अपने देश के कानून व नियमों का पालन करें और अपनी मातृभूमि की भावना और परंपराओं का सम्‍मान करें : उपराष्‍ट्रपति

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भारत यात्रा पर आये खाड़ी देशों के अप्रवासी  छात्रों से कहा कि आप जिस देश में रहते है उस देश के कानून व नियमों का पालन करें और इसके साथ ही अपनी मातृभूमि की भावना और परंपराओं का सम्‍मान करें। छात्र एशियानेट न्‍यूज द्वारा आयोजित ‘प्राउड टू बी एन इंडियन-2019’ प्रतिस्‍पर्धा के विजेता है।

श्री नायडू ने कहा कि पूरा विश्‍व एक वैश्विक गांव में बदल गया है। उन्‍होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे विश्‍व के नागरिक बने, लेकिन साथ ही हमारी सभ्‍यता, संस्‍कृति, इतिहास, परम्‍परा, रीति-रिवाज व त्‍योहारों की स्‍पष्‍ट जानकारी रखें तथा वेद और उपनिषदों द्वारा दिये गये ज्ञान को भी प्राप्‍त करें।

भारत के महान दर्शन, ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम’ के बारे में उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत ने किसी भी देश पर आक्रमण नहीं किया है और हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व में विश्‍वास किया है।

महात्‍मा गांधी ने कहा था- ‘अपने आपको पाने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि आप दूसरो की सेवा में अपने आपको भूल जाएं।’  इसे उदृत करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शांति, जलवायु परिवर्तन, सौर ऊर्जा और प्रकृति के संबंध में भारत की प्रतिबद्धता से पूरे विश्‍व के लोगों का जीवन बेहतर होगा।

श्री नायडू ने कहा कि पूरे विश्‍व की विकास गति धीमी पड़ रही है, लेकिन भारत में विकास दर 7 प्रतिशत से अधिक रही है। प्रत्‍येक भारतीय में मौजूद प्रतिभा, कौशल विकास और हस्‍तकला को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हमें अपने पारंपरिक मूल्‍यों को संरक्षित करना चाहिए, क्‍योंकि ये नि:स्‍वार्थ व शांति को बढ़ावा देते है और बड़ों एवं शिक्षकों का आदर करना सिखाते है। हमें लैंगिक समानता, समावेशी दृष्टिकोण और खुली मानसिकता को प्रोत्‍साहित करने की आवश्‍यकता है।

भारत एक वाइब्रेंट लोकतंत्र है, जिसकी जड़े धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और शांति से जुड़ी हैं। छात्रों को देश के संवैधानिक मूल्‍यों को समझना चाहिए। संविधान, अन्‍य नागरिकों तथा देश की एक‍ता व अखंडता के लिए प्रतिबद्धता ही राष्‍ट्रीयता की मूल भावना है, यही देशभक्ति है।  ‘सर्व धर्म समभाव’ सभी भारतीयों के डीएनए में है।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भविष्‍य के नागरिकों को वंचितों की कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और जरूरतमंदों के प्रति उदार होना चाहिए। नैतिक शिक्षा पहले अनिवार्य थी, इसे फिर से लागू किये जाने की आवश्‍यकता है। उपराष्‍ट्रपति ने एशियानेट न्‍यूज को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि इस प्रतिस्‍पर्धा से छात्रों को भारत भ्रमण का सुअवसर प्राप्‍त हुआ है।

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