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सौभाग्य – एक स्वप्न जिसे हमने साहसपूर्वक हासिल किया

विद्युतीकरण से लोगों के लिए नए-नए अवसरों का द्वार खुलता है – यह नागरिकों को सशक्त बनाता है और इससे उनका जीवन-स्तर पहले से बेहतर हो जाता है। इससे छोटे और उभरते व्यवसायों को काम करने के लिए अधिक समय मिलता है; स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों में सुधार होता है; विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को पढ़ने का मौका मिलता है; तथा शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोगों को बेहतर सुरक्षा मिलती है – ऐसी ही अनेक अभूतपूर्व संभावनाओं के बीच, विद्युतीकरण अपने साथ एक उज्ज्वल और अधिक स्थायी भविष्य की एक नई आशा लेकर आता है।

ग्रामीण विद्युतीकरण के चुनौतीपूर्ण काम को पूरा करते समय भारत सरकार ने देश के सभी घरों को विद्युतीकृत करने की इच्छा से सर्वत्र घरेलू विद्युतीकरण पर अपना ध्यान केंद्रित किया। माननीय प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना – ‘सौभाग्य’ स्कीम का शुभारंभ किया और इसके सभी हितधारकों से 18 माह की चुनौतीपूर्ण समय-सीमा में देश के प्रत्येक घर के विद्युतीकरण के लिए अपनी पूरी शक्ति लगाने का आह्वान किया। इस स्कीम का कुल परिव्यय 16,320 करोड़ रुपये था। सौभाग्य इस राष्ट्र की यात्रा की कहानी है। एक ऐसी यात्रा जिससे लाखों भारतीयों के जीवन में बेहतर बदलाव आया। कई बड़ी चुनौतियों को पार करते हुए राष्ट्र ने विश्व के सबसे बड़े घरेलू विद्युतीकरण अभियान को कुछ ही महीनों में हासिल कर लिया।

सौभाग्य की यात्रा, एक नज़र में

यह एक ऐसी बड़ी उपलब्धि है जिसे पूरी तरह से समर्पित टीम के सहयोग और अथक परिश्रम के बिना पाना संभव नहीं था, इसके लिए पूरी टीम ने साथ मिलकर लगातार काम किया। शुरुआत में, हमारे सामने देश के अविद्युतीकृत घरों की पहचान करने की बड़ी चुनौती थी। इसके लिए हमें व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना पड़ा – हमने अपने देश के संचार नेटवर्क के 150 वर्ष से अधिक पुराने आधार स्तम्भ डाक विभाग का उपयोग किया। अविद्युतीकृत घरों की संख्या सुनिश्चित करने के लिए उनके माध्यम से एक सर्वे कराया गया। इस सर्वे के लिए रीयल टाइम विश्लेषण और उचित रणनीति तैयार करने हेतु विशेष रूप से एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप ‘सांख्य’ तैयार किया गया।

सौभाग्य का कार्यान्वयन अपने आप में सहकारी संघवाद की उल्लेखनीय सफलता की कहानी है, जहाँ राज्य और केंद्र दोनों सरकारों ने लक्ष्य को समय पर हासिल करने के लिए निरंतर  साथ मिलकर काम किया। देश के हर इच्छुक घर को विद्युत कनेक्शन देने के लिए 56 डिस्कॉमों ने अथक परिश्रम किया। लाभार्थियों तक पहुंचने, मौके पर विद्युत कनेक्शन की सुविधा देने – और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी घर छूटा नहीं है, ग्राम स्तर पर सौभाग्य शिविर आयोजित किए गए। लोगों में जागरूकता पैदा करने और बिना बिजली वाले प्रत्येक घर, जो शुरुआत में इस योजना के अंतर्गत पंजीकरण कराने में विफल रहे थे, उनकी पहचान करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में विशेष ‘सौभाग्य रथ’ भेजा गया। स्कीम से संबंधित सभी प्रश्नों के बारे में लाभार्थियों की सहायता करने, उनकी शिकायतों को दूर करने और उनके त्वरित समाधान के लिए डिस्कॉम की सहायता से विद्युत कनेक्शन प्रदान करने हेतु 24×7 काम करने वाला एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया। उन जगहों पर जहां घर दूर-दूर बसे थे, उनका समाधान तकनीकी-आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं था, अतः वहां स्टैंड-अलोन सोलर पीवी-आधारित प्रणाली की स्थापित की गई। हमारे प्रयास से देश के लाखों लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ पाए और सबसे बढ़कर इस काम से लाखों चेहरों पर मुस्कान आई।

जब मैं इतिहास के पन्नों को पलटता हूं, तो पाता हूँ कि 1879 वह वर्ष था जब कलकत्ता (अब कोलकाता) की गलियों में विद्युत के लिए लाइट बल्बों का उपयोग होता था और 31 मार्च, 2019 को भारत ने सर्वत्र विद्युतीकरण को हासिल कर लिया – जिससे हम व्यावहारिक विकास के एक नए चरण में आगे बढ़ने में और अधिक सक्षम हो गए। 

गुणवत्तापूर्ण विद्युत की राह 

2.82 करोड़ इच्छुक घरों के विद्युतीकरण के बाद, अब हम शहरी और ग्रामीण भारत में विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण 24×7 विद्युत आपूर्ति की दिशा में काम कर रहे हैं। हर भारतीय के घर में विद्युत की निर्बाध आपूर्ति से सभी आवश्यकताओं तक उनकी पहुंच संभव हो सकेगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इससे एक बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि अधिसंख्य नागरिक नई और बेहतर कृषि तकनीकों, कृषि-मशीनरी, नवीनतम प्रौद्योगिकियों आदि का उपयोग करने में सक्षम होंगे, इससे कृषि उत्पादन में काफी वृद्धि होगी, आर्थिक विकास में सुधार होगा। विश्वसनीय विद्युत मिलने से नए-नए कारोबार स्थापित करने के साथ ही विभिन्न लघु उद्योगों में भारी अवसरों का सृजन होगा और सामाजिक-आर्थिक वृद्धि तथा विकास में सहयोग मिलेगा। अब भारत ने प्रगति के एक नए युग में कदम रख दिया है, अब एक भी नागरिक पीछे नहीं रहेगा, क्योंकि हमने ‘सभी के लिए विद्युत’ का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।

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