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श्री गौड़ा ने कोरोना संकट के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उर्वरक उद्योग की सराहना की

नई दिल्ली: खरीफ बुवाई के मौसम के दौरान कृषक समुदाय को उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी वी सदानंद गौड़ा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उर्वरक उद्योग के हितधारकों के साथ बैठक की।

      इस अवसर पर श्री गौड़ा ने कोरोना महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में सरकार के साथ सहयोग करने के लिए उद्योग जगत के हस्तियों को धन्यवाद दिया। श्री गौड़ा ने कहा कि मंत्रालय ने यह सुनिश्चित किया है कि आगामी खरीफ फसल के लिए उर्वरक की उपलब्धता पर्याप्त रहे।

      सभी बाधाओं के बावजूद, उर्वरक उद्योग द्वारा इकाइयों का संचालन किये जाने की श्री गौड़ा ने सराहना की। ”

      केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खरीफ का मौसम शुरू हो गया है, और देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने खेती का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम इस साल अच्छे मानसून सीजन की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उर्वरकों की मांग इस साल भी उच्च स्तर पर बनी रह सकती है। पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल, मई और जून के महीनों में यूरिया और पीएंडके खाद- दोनों की डीबीटी बिक्रीअधिक रही है।

      उन्होंने कहा कि खरीफ मौसम के दौरान यूरिया की आवश्यकता 170 लाख मीट्रिक टन है, जबकि लगभग 133 लाख टन उत्पादन की सम्भावना है। इस कमी की भरपाई के लिए यूरिया का आयात किया जायेगा। पहले ही दो वैश्विक निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी हैं।इसके अलावा, उर्वरक विभाग, देश भर में किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरिया का आयात करना जारी रखेगा।

      श्री गौड़ा ने यह भी बताया कि देश भर में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धताहै, जिसकी रिपोर्ट विभिन्न राज्य कृषि विभागों द्वारा 9 जून 2020 को आयोजित पिछले वीडियो कांफ्रेंस के दौरान दी गई थी। पिछले 6 वर्षों से चली आ रही परंपरा को जारी रखते हुए, मुझे इस बात का पूर्ण विश्वास है कि इस वर्ष भी उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी। उद्योग की सराहना करते हुएउन्होंने कहा कि यह उनके अथक प्रयासों से संभव हुआ है।

      उर्वरक विभाग के अधिकारियों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, उन्होंने लॉकडाउन के दौरान दिन-रात काम कियाऔर राज्य सरकारों, रेल मंत्रालय और एमएचए के साथ घनिष्ठ समन्वय बनाये रखा ताकिउर्वरक इकाइयों की कच्चे माल, कर्मचारियों और उर्वरकों की आवाजाही जैसी परिवहन संबंधी समस्यायों को दूर किया जा सके।

      उर्वरकों की सब्सिडी के मुद्दे पर श्री गौड़ा ने कहा कि विभाग ने पीएंडके उर्वरकों के लिए पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी के निर्धारण के लिए अपेक्षित अनुमोदन प्राप्त करने में शीघ्रता दिखाई। मंजूरी नहीं मिलने से सब्सिडी गणना के बारे में अनिश्चितता बनी रहती और इससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था।

      उन्होंने कहा, विभाग द्वारा लंबित सब्सिडी बिलों के भुगतान में देरी के कारण उर्वरक कंपनियों को हुई कठिनाई से हम पूरी तरह से अवगत हैं। हम मुद्दों को हल करने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ काम कर रहे हैं।

      श्री गौड़ा ने व्यय विभाग के परामर्श से ऊर्जा दक्षता मानदंडों को हल करने के लिएउर्वरक विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताया।

      उर्वरक उद्योगों द्वारा सामना की जा रही अन्य प्रमुख चुनौतियों-  (क) अपने मूल निवास स्थान पर चले जाने के कारण श्रमिकों की कमी, (ख) कुशल कर्मियों के आयात पर प्रतिबंध और (ग) ईएसएस परियोजनाओं केपुनरुद्धार व निष्पादन के लिए मशीनरी/उपकरण के आयात पर प्रतिबंध आदि पर भी विचार-विमर्श किया गया।

      श्री गौड़ा ने आश्वासन दिया कि मंत्रालय सभी आवश्यक उपाय करेगा जो उद्योग की सामान्य कठिनाइयों को कम करने के लिए जरूरी हैं। कंपनी के अधिकारियों ने अपनी कठिनाइयों को साझा किया।

      राज्यमंत्रीश्री मनसुख मंडाविया ने उर्वरकों की आवाजाही के लिए तटीय नौवहन के बारे में जानकारी दी और उर्वरक उद्योग को बंदरगाहों पर होने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की।

      उर्वरक विभाग के सचिव श्री छबीलेंद्र राउल ने कोविड के दौरान उर्वरक के परिवहन के लिए रेल मंत्रालय, राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों के साथ विभाग के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे समन्वय के प्रयासों के बारे में बताया।

      एफएआई के महानिदेशक,विभिन्न सार्वजनिक उद्यमों के सीएमडी/एमडी, सहकारी समितियों और उर्वरक कंपनियों के प्रतिनिधियों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी वीसी-बैठक में भाग लिया।

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