उत्तर प्रदेश

बागों में पकने योग्य फल की समय से तुड़वाई अवश्य कर ली जाये: डाॅ0 आर0 के0 तोमर

लखनऊः उत्तर प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा आम बागवानों के लिए आम की अच्छी पैदावार हेतु सलाह निर्गत करते हुये कहा गया है कि जिन बागों में फल पकने योग्य है उनकी समय से तुड़ाई अवश्य कर ली जाये। जिन क्षेत्रों में सुड़ी व थ्रिप्स का बहुत अधिक प्रकोप दिखाई देता है तो अपरिहार्य स्थिति मे क्लोरपाइरीफास 20 इ.सी. 02 मि0ली0 प्रति ली0 पानी में तथा एंथ्रेकनोज, काला सड़न रोग के बचाव हेतु कार्बेन्डाजिम 01 ग्राम प्रति ली0 पानी में घोलकर छिडकाव किया जाये।
यह जानकारी निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, डा0 आर0के0 तोमर ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि डासी मक्खी या फल मक्खी की नियंत्रण के लिए 100 मि0ली0 दवा युक्त पानी के घोल मिथाईल यूजिनाल 0.1 प्रतिशत एवं मैलाथियान 0.1 प्रतिशत को चैड़े मुँह की शीशीयों में डालकर 01 ग्राम बोतल ट्रेप्स प्रति हेक्टेयर की दर से पेड़ पर लटकाया जाये। बागों में घनापन इनका मुख्य कारण है, इसके लिए पुराने बागों का जीर्णोद्धार, बिरलीकरण या कैनोपी प्रबन्धन भी करने की आवश्यकता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाय कि दवा के छिड़काव के एक सप्ताह बाद ही फलों का उपयोग किया जाय।
डाॅ0 तोमर ने बताया कि आम की फसल में सुड़ी कीट फल में छेद कर गूदे को खाकर क्षति पहुंचायी जाती है जिससे फल सड़ने लगता है। थ्रिप्स कीट द्वारा फल के छिलके को खाकर या खुरच कर हानि पहुंचायी जाती है, जिससे फल में काले धब्बे पड़ जाते है। फल मक्खी कीट परिपक्व फलों में अण्डे देती है जिनसे दो तीन दिन बाद सुडियां निकल कर गुदे को खाना शुरू कर देती है। इनके द्वारा आम के गूदे को खाकर अर्ध तरल बदबूदार पदार्थ के रूप में परिवर्तित कर देती है।
एन्थे्रकनोज रोग के कारण फलों में छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है, जो बाद में पूरे फल को ढ़क लेते है तथा पूरा फल काला होकर सड़ जाता है। इसी प्रकार काला सड़न रोग में शुरूआत में इसके लक्षण पीले रंग के गोल रूप में दिखाई देते है जो बाद भूरे रंग के हो जाते है। यह धब्बें पानी से भीगे दिखाई देते है जो आगे चलकर इन धब्बे का आकार बढ़ जाता है। तथा इनके ऊपर काले रंग की फंफूद देने लगती है।
निदेशक, उद्यान ने कहा कि प्रदेश में आम एक मुख्य फसल है वर्तमान में आम की अगेती एवं मध्य किस्मों में फल पक रहे है। जिनका आम बागवानों द्वारा तुड़ाई कर विक्रय किया जा रहा है। आम की फसल में समय-समय पर कीट/रोगों के प्रकोप से उद्यानपतियों को काफी क्षति का सामना करना पड़ता है। इन रोग/कीटों का समय से निदान कर लिया जाये तो इनसे होने वाली क्षति को बचाया जा सकता है। घने बागों में बरसात के मौसम में नमी तथा तापमान अधिक हो ऐसी स्थिति में आम के फलों पर एन्थ्रेकनोज, काला सड़न, आदि रोग तथा फल मक्खी व किन्ही-किन्ही क्षेत्रों में फल छेदक, थ्रिप्स आदि का प्रकोप होता है।

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