देश-विदेश

उपराष्ट्रपति ने भारत को प्राकृतिक उपचार और आरोग्य का केंद्र बनाने का आह्वान किया

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने भारत को प्राकृतिक उपचार और आरोग्य का केंद्र बनाने का आह्वान किया।

आज केरल के कोट्टाक्कल में वैद्यरत्नम् श्री पी एस वारियर के 150वें जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए श्री नायडू ने कहा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि भारत में विश्व की आरोग्य राजधानी बनने की अपार क्षमता मौजूद है। भारत प्राचीन पारंपरिक औषधि प्रणालियों और आरोग्य का गढ़ रहा है। यह शारीरिक स्वास्थ्य सहित मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का केंद्र भी रहा है।”

रोगों के उपचार के संबंध में भारत की प्राचीन और तार्किक समझ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अथर्वेद में औषधि के क्षेत्र में ज्ञान-विज्ञान का भंडार मौजूद है। यह भारत के प्राचीनतम औषधि स्रोत के रूप में जाना-पहचाना जाता है।

प्राचीनकाल में आयुर्वेद द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विदेशी शासकों ने आयुर्वेद को पनपने का कोई अवसर नहीं दिया, परंतु इसके बावजूद आयुर्वेद जीवित रहा, विकसित हुआ और पूरे विश्व में उसने उदार स्वास्थ्य सेवा विज्ञान के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद न केवल औषधि प्रणाली है, बल्कि वह जीवन दर्शन भी है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पारंपरिक औषधि प्रणालियों में अनुसंधान प्रमाण आधारित सुधारों की दिशा में होना चाहिए, ताकि भारत पूरी दुनिया में प्राकृतिक उपचार तथा आरोग्य का मुख्य केंद्र बन सके। उन्होंने भारत में मधुमेह, कैंसर और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी रोगों के बढ़ते रुझान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन रोगों के उपचार और रोकथाम पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद इस तरह के रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे जंक-फूड का त्याग कर दें और शारीरिक रूप से फिट रहें।

श्री नायडू ने कहा कि घरेलू औषधि प्रणालियों को प्रोत्साहन देना जरूरी है तथा उपचार को और प्रभावशाली बनाने के लिए आयुर्वेद जैसी पारंपरिक प्रणालियों को आधुनिक एलोपैथिक प्रणाली के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद को अनुसंधान के जरिये मजबूत बनाने की जरूरत है। औषधि के इस पारंपरिक प्रणाली के प्राचीन ज्ञान को सघन रूप से खंगाला नहीं गया है।”

पूरे विश्व में जड़ी-बूटियों को दवा के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली प्राचीन प्रणाली के हवाले से उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन उपचार को और मजबूत बनाने के लिए देशों के बीच नियमित रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाना चाहिए। मोलेक्यूलर बायोलॉजी और डीएनए प्रोफाइलिंग की प्रौद्योगिकियों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि आयुर्वेद सहित सभी क्षेत्रों में नए ज्ञान की खोज लगातार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अनुसंधान से पौधों और उनके गुणों की अधिक जानकारी प्राप्त करने में सहायता होगी।

उन्होंने प्रबंध न्यासी डॉ. पी. के. वारियर की सराहना करते हुए कहा कि वे बेहतर जीवनशैली और बेहतर खान-पान व्यवहार के अनुपम उदाहरण हैं।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, केरल के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. के. टी. जलील, आर्य वैद्यशाला के प्रबंध न्यासी डॉ. पी. के. वारियर और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button