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उद्योग के लिए भविष्य के कौशल विकसित करने की जरूरत: श्री गोयल

वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल ने वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी को 10% तक बढ़ाने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हमारे निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 25% तक पहुंचाने का आह्वान किया है।

बजट के बाद ‘दुनिया के लिए मेक इन इंडिया’ पर आयोजित वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने कहा, ‘ये महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं लेकिन मुझे लगता है कि यह हासिल किया जा सकता है।’

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वेबिनार के उद्घाटन संबोधन में विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ ही भारत को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘आज दूसरे देश आत्मनिर्भर भारत के समान कार्यक्रम के बारे में बातें कर रहे हैं। और मुझे लगता है कि इस विजन के महत्व और सफलता का इससे बड़ा सबूत कुछ नहीं हो सकता है कि दुनिया आज भारत की कहानी का अनुकरण करना चाहती है।’

श्री गोयल ने भारत को वैश्विक सेवा व्यापार में शीर्ष 3 देशों में पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने विदेश व्यापार में एमएसएमई को सपोर्ट करने के अलावा अगले 25 वर्षों के दौरान खुद को प्रौद्योगिकी के लीडर के रूप में स्थापित करने के लिए शीर्ष 10 अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाएं/नवाचार केंद्र तैयार करने का आह्वान किया। भारत@100 की तरफ बढ़ते हुए, अगले 25 वर्षों के लिए देश का अमृत काल शुरू हो रहा है।

उन्होंने कहा, ‘आइए, हम सभी रोजगार सृजनकर्ता बनें। आइए हम सभी एक सहयोगी दृष्टिकोण से भारत के विनिर्माण इकोसिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) को मजबूत करने की दिशा में काम करें। आइए हम सभी भारत को आत्मनिर्भर बनाएं।’

उन्होंने कहा कि रक्षा प्रणालियों को छोड़कर सरकार ड्रोन क्षेत्र के लिए अधिक उदार नियामक व्यवस्था चाह रही है। श्री गोयल ने कहा कि उद्योगों को, भारत को ड्रोन विनिर्माण का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने गुणवत्ता को पूर्ण मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करने का आह्वान किया और कहा कि अंतिम उत्पाद बनने के बाद इसकी बात नहीं होनी चाहिए।

उद्योग के लिए कल यानी भविष्य के तकनीकी कौशल को विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए, श्री गोयल ने शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को ‘आज की जरूरतों’ के हिसाब से प्रासंगिक बनाने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा, ‘समय की मांग बहुत तेजी से बदल रही है, पाठ्यक्रम में बदलाव बहुत धीमी गति से होता है। बेशक, बहुत सारी समस्याएं हैं, आप रातोंरात पाठ्यक्रम नहीं बदल सकते हैं लेकिन मुझे लगता है कि अधिक प्रासंगिक, समकालीन शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है… ऐसे में अधिक प्रासंगिक शैक्षणिक पाठ्यक्रम ही ज्यादा आवश्यक है और इसके लिए हमें यह रिसर्च करने की आवश्यकता है कि आज हमें क्या पढ़ाया जा रहा है और यह कितना समकालीन है?’

इससे पहले दिन में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की ओर से आयोजित वेबिनार में विशेष संबोधन दिया। उद्घाटन सत्र के बाद, लगातार तीन सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें 1) भारत @100 में विनिर्माण में आमूच-चूल बदलाव 2) निर्यात में भारत के ट्रिलियन डॉलर लक्ष्य को साकार करने की रणनीति तैयार करना और 3) एमएमएमई कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विकास इंजन के तौर पर काम करेंगे। समापन सत्र में उद्योग जगत की तीन हस्तियों यानी सत्र मॉडरेटरों ने निष्कर्षों और आगे के रास्ते को लेकर कार्ययोजनाओं पर प्रस्तुति दी। केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया।

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