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अंतर-मंत्रालय समिति ने देशभर में प्याज की कीमतों और उपलब्धता की समीक्षा की

नई दिल्ली: एक अंतर-मंत्रालयी समिति के माध्यम से उपभोक्ता कार्य विभाग ने आज फिर से प्याज की कीमतों और उपलब्धता की समीक्षा की। उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री अविनाश के श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधियों सहित बागवानी आयुक्त, नैफेड, मदर डेयरी, केन्द्रीय भंडार, दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि, एपीएमसी आज़ादपुर के प्रतिनिधि और उपभोक्ता कार्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि आपूर्ति में व्यवधान मुख्य रूप से बारिश और दो चक्रवातों के कारण है और आने वाले दिनों में इसमें सुधार होने की उम्मीद है।

आपूर्ति बढ़ाने के लिए निम्नलिखित निर्णय लिए गए:

1.  केंद्र सरकार प्याज के आयात के लिए एक सुविधा प्रदाता के रूप में काम करेगी। आयातों में आसानी के लिए फाइटोसैनेट्री और फ्यूमिगेशन से जुड़ी समुचित छूट की आवश्यकता होती है। अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की और ईरान में भारतीय मिशनों से अनुरोध किया जाएगा कि वे भारत को प्याज की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करें। इससे भारत में समुद्री मार्ग से 80 कंटेनरों के तत्काल आयात और 100 कंटेनरों को स्थानांतरित करने की सुविधा मिलने की उम्मीद है।

2.  नैफेड को खुदरा बिक्री के लिए दिल्ली सरकार और मदर डेयरी/सफल को यथासंभव अधिकतम मात्रा में आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया था। नासिक जाने और वहां की स्थिति का जायजा लेने के लिए एडिशनल एमडी, नेफेड की अगुवाई में टीम ने महाराष्ट्र से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों सहित उपभोग क्षेत्रों में आपूर्ति की आवाजाही की सुविधा प्रदान की।

3.  कर्नाटक और राजस्थान के बाद कल और उसके अगले दिन, दो अंतर मंत्रालयी टीमों को उनके प्याज की आपूर्ति का जायजा लेने और दिल्ली-एनसीआर सहित उपभोग क्षेत्रों में आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए रवाना किया जाएगा।

4.  राजस्थान सरकार ने पहले ही प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए, फसल पश्‍चात इसके स्‍टॉक में तेजी का आश्वासन दिया है। कुछ क्षेत्रों में फसल की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है।

5.  दिल्ली सरकार को कर्नाटक और राजस्थान जाने वाले अधिकारियों की अंतर-मंत्रालयी टीम के साथ जाने की सलाह दी गई। उन्हें व्यापारियों के साथ बैठक करने और क्षेत्र में उपलब्ध आपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए प्रोत्साहित करने की भी सलाह दी गई। वे व्यापारियों को मुनाफाखोरी और सट्टा मूल्य निर्धारण से हतोत्साहित भी कर सकते हैं।

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