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जन औषधि योजना से गरीबों को अधिक चिकित्सा खर्च से राहत मिली: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘जन औषधि दिवस’ समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान एनईआईजीआरआईएचएमएस, शिलांग में 7500वें जनऔषधि केंद्र को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के लाभार्थियों के साथ वार्तालाप भी किया। प्रधानमंत्री ने हितधारकों के उत्कृष्ट कार्य के लिए उनकी सराहना की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा, श्री मनसुख मंडाविया, श्री अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश और मेघालय के मुख्यमंत्री, मेघालय और गुजरात के उप-मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने पांच स्थानों शिमला, हिमाचल प्रदेश; भोपाल, मध्यप्रदेश; अहमदाबाद, गुजरात; मारुति नगर, दीव और मंगलौर, कर्नाटक में लाभार्थियों, केंद्र संचालकों और जन औषधि मित्रों के साथ वार्तालाप किया। लाभार्थियों के साथ वार्तालाप करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनसे स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री नें उन्हें बताया कि किफायती दामों के कारण, रोगी बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए आवश्यक दवाएं ले रहे हैं। उन्होंने जन औषधि आंदोलन को बढ़ावा देने वाले युवाओं की प्रशंसा की और उनसे वर्तमान में जारी टीका अभियान में सहयोग करने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों से कहा कि वह जन औषधि के लाभों के विषय में प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा “आप मेरा परिवार हैं और आपके रोग मेरे परिवार के सदस्यों के रोग है, इसलिए, मैं चाहता हूं कि मेरे सभी देशवासी स्वस्थ रहें।”

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने कहा कि जनऔषधि योजना गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए काफी सहयोगी साबित हुई है। यह सेवा और रोजगार दोनों का माध्यम बन रहा है। शिलांग में जनऔषधि के 7500वें केंद्र का समर्पण पूर्वोत्तर में जन औषधि केंद्रों के प्रचार-प्रसार का संकेत है। मोदी ने कहा कि यह योजना पहाड़ी क्षेत्रों, पूर्वोत्तर और जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को कम मूल्य पर दवाएं उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा कि 7500वें केंद्र का समर्पण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि छह वर्ष पूर्व संपूर्ण भारत में इसके 100 केंद्र भी नहीं थे। उन्होंने 10,000 केंद्रों का लक्ष्य प्राप्त करने का आह्वान किया। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार महंगी दवाओं पर प्रति वर्ष लगभग 3600 करोड़ रुपये बचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं के मध्य आत्मनिर्भर भारत की भावना को भी बढ़ावा दे रही है क्योंकि 1000 से अधिक केंद्र महिलाओं द्वारा ही संचालित किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना को बढ़ावा देने के लिए, दलित, जनजातीय महिलाओं और पूर्वोत्तर के लोगों के लिए 2 लाख के अतिरिक्त प्रोत्साहन के साथ आर्थिक प्रोत्साहन को 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दवाओं और शल्य चिकित्सा की मांग बढ़ी है। बढ़ती मांग के साथ ताल-मेल रखने के लिए उत्पादन भी बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनऔषधि केंद्रों में अब 75 आयुष दवाएं भी उपलब्ध हैं। आयुष दवाओं के सस्ते में मिलने से रोगियों को भी लाभ होगा और आयुर्वेद एवं आयुष चिकित्सा के क्षेत्र को भी लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से, सरकारी दृष्टि में स्वास्थ्य को केवल रोग और उपचार का विषय माना। हालांकि, स्वास्थ्य का विषय केवल रोग और उपचार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण बनाने हेतु, सरकार ने रोगों के कारणों पर भी काम किया है। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान, निःशुल्क एलपीजी कनेक्शन, आयुष्मान भारत, मिशन इन्द्रधनुष, पोषण अभियान और योग जैसे स्वास्थ्य के प्रति सरकार के समग्र दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2023 को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में संयुक्त राष्ट्र की मान्यता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने मोटे अनाज को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि यह न केवल पौष्टिक खाद्य अनाज प्रदान करेगा बल्कि किसानों की आय में भी बढ़ोतरी करेगा।

गरीब परिवारों पर चिकित्सा उपचार के भारी बोझ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में, उपचार में सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और देश के प्रत्येक गरीब व्यक्ति के लिए चिकित्सा उपचार को सुलभ बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए आवश्यक दवाओं, हार्ट स्टेंट, घुटने की सर्जरी संबंधी उपकरणों की कीमतें कई गुना कम कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना ने देश के 50 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों के लिए 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क इलाज सुनिश्चित किया है। अब तक 1.5 करोड़ से अधिक लोगों ने इसका लाभ उठाया है और लगभग 30,000 करोड़ रुपये की बचत की है।

प्रधानमंत्री ने स्वदेशी रूप से विकसित कोरोना वैक्सीन के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि आज भारत के पास न केवल स्थानीय उपयोग के लिए, बल्कि दुनिया की सहायता के लिए भी टीके उपलब्ध हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार ने टीकाकरण के लिए गरीब और मध्यम वर्ग के हितों को विशेष रूप से ध्यान में रखा है। सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण निःशुल्क है और निजी अस्पतालों में सिर्फ 250 रुपये लिये जा रहे हैं जो विश्व में सबसे कम मूल्य है।

प्रधानमंत्री ने प्रभावी उपचार और गुणवत्ता वाले चिकित्सा कर्मचारियों की उपलब्धता के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने गांवों में प्राथमिक अस्पतालों से लेकर तृतीयक अस्पतालों और एम्स जैसे मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने में समग्र दृष्टिकोण पर कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।

प्रधानमंत्री ने पिछले छह वर्षों में चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों को स्मरण किया। उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों में 2014 में मौजूद 55 हजार एमबीबीएस सीटों में 30 हजार से अधिक सीटें जोड़ी गई हैं। इसी तरह, 30 हजार पोस्ट ग्रेजुएट सीटों में भी 24 हजार नई सीटों को जोड़ा गया है। पिछले छह वर्षों में 180 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं। गांवों में 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 50 हजार ने पहले ही कार्य करना आरंभ कर दिया है। यह केंद्र गंभीर रोगों का इलाज कर रहे हैं और परिष्कृत परीक्षण को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करा रहे हैं। श्री मोदी ने बजट में स्वास्थ्य के लिए आवंटन में भारी वृद्धि और स्वास्थ्य समस्याओं के पूर्ण समाधान के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हर जिले में नैदानिक ​​केंद्र उपलब्ध कराए गए हैं और 600 से अधिक गहन देखभाल अस्पताल स्थापित किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन लोकसभा क्षेत्रों में एक चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की योजना पर भी कार्य प्रगति पर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज सरकार का प्रयास सभी के लिए इलाज को सस्ता और सुलभ बनाना है। इसी दृष्टिकोण के साथ, आज नीतियां और कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के नेटवर्क में तीव्रता से विस्तार हुआ है और जहां तक संभव हो इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया गया है।

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