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मणिपुर ने जल जीवन मिशन के तहत अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की, मार्च 2022 तक 100 प्रतिशत कवरेज की तैयारी

मणिपुर राज्य ने जल जीवन मिशन के तहत अपनी वार्षिक कार्य योजना आज जल शक्ति मंत्रालय की पेयजल और स्वच्छता विभाग समिति के समक्ष विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और नीति आयोग के सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश की। मणिपुर में लगभग 4.51 लाख ग्रामीण परिवार हैं जिनमें से 31 मार्च 2021 तक 2.27 लाख घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है। कोविड-19 महामारी के बावजूद 2020-21 में 1.96 लाख नए नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। राज्य ने शेष 2.25 लाख घरों में नल का कनेक्शन प्रदान करके जल जीवन मिशन के तहत 2021-22 तक 100 प्रति लक्ष्य हासिल करने की योजना बनाई है।

वित्त वर्ष 2021-22 शुरू होते ही जल जीवन मिशनों की वार्षिक कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने की कवायद 9 अप्रैल से शुरू हो गई है। समिति अंतिम रूप देने से पहले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तैयार प्रस्तावित वार्षिक कार्य योजना की जांच करती है। इसके बाद साल भर फंड जारी किए जाते हैं, नियमित फील्ड दौरे, समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं ताकि जल जीवन मिशन के तहत वार्षिक कार्य योजनाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन अनुदान प्राप्त कर सकते हैं बशर्ते उनके पास अच्छी भौतिक और वित्तीय प्रगति हो और उनके पास फंड का उपयोग करने की क्षमता हो।

2020-21 में मणिपुर उन सात राज्यों में से एक था जिन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए जल जीवन मिशन के तहत प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन अनुदान प्राप्त हुआ। अन्य छह राज्य अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, गुजरात और हिमाचल प्रदेश थे। जल जीवन मिशन के तहत, भारत सरकार द्वारा घरेलू नल कनेक्शन के आउटपुट के आधार पर फंड मुहैया कराया जाता है, उपलब्ध केंद्रीय फंड के इंस्तेमाल के अलावा राज्य के शेयर के बराबर फंड भी दिया जाता है।

मणिपुर की 2021-22 के लिए वार्षिक कार्य योजना में इस बात पर जोर दिया गया है कि ग्राम जल और स्वच्छता समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ग्राम कार्य योजनाओं की तैयारी और अनुमोदन के लिए पेयजल स्रोत सुदृढ़ीकरण/वृद्धि और जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए। उपयोग हो चुके जल के पुन: इस्तेमाल के लिए उपचार और गांवों के भीतर जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन और रख-रखाव को भी दुरुस्त करना इसमें शामिल है। इसके अलावा राज्य की योजना कई गहन प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रम चलाने की भी है। इनमें पानी की गुणवत्ता की निगरानी और हर समुदाय के 5 लोगों की पहचान विशेष रूप से राजमिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक और पंप ऑपरेटर आदि के रूप में प्रशिक्षित मानव संसाधन का एक कैडर बनाने की योजना भी शामिल है। गांवों में निर्माण कार्यों के साथ-साथ संचालन और रख-रखाव कार्यों का ध्यान रखना भी इसका हिस्सा है। राज्य में सूचना, जागरूकता और संवाद कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे जिससे लोगों को जल जीवन मिशन के बारे में बताया जाए और इसे एक जन आंदोलन के रूप में खड़ा किया जाए।

राज्य को मौजूदा प्रोटोकॉल के अनुसार पानी के बैक्टीरियोलॉजिकल और रासायनिक संदूषण के लिए जल परीक्षण को महत्व देने के लिए कहा गया है। जिला और राज्य स्तर पर जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं सामान्य जनता के लिए मामूली दर पर पानी के परीक्षण करने के लिए खोली गई हैं। जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए स्थानीय समुदाय को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने और साथ लाने के लिए कहा गया है। फील्ड टेस्ट किट की समय पर खरीद, समुदाय को किटों की आपूर्ति, हर गांव में जल निगरानी के लिए कम से कम पांच महिलाओं की पहचान, फील्ड टेस्ट किट के उपयोग के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करना और पानी की प्रयोगशाला आधारित निष्कर्षों के साथ रिपोर्ट तैयार करना आदि कार्य किए जा रहे हैं।

केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम जल जीवन मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में पेयजल नल का कनेक्शन प्रदान करना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार और सुगमता बढ़ेगी। देश में बढ़ते कोवि़ड-19 मामलों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन राज्यों के साथ मिलकर ग्रामीण घरों में नल का जल कनेक्शन सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है ताकि ग्रामीण लोगों, विशेषकर महिलाओं और बालिकाओं को पानी लाने के लिए सार्वजनिक जलापूर्ति वाले स्थानों तक की दूरी तय न करनी पड़े।

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