देश-विदेश

माँ खीर भवानी की कृपा हम पर सदैव बनी रहे – अमित शाह

हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के शुभ अवसर पर कश्मीरी पंडित माता रागन्या देवी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इसे खीर भवानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 28 मई को खीर भवानी मेला कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीर घाटी के स्थानीय लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने इस अवसर पर ट्वीट कर कहा कि कश्मीर में ज्येष्ठ अष्टमी पर आयोजित होने वाला यह खीर भवानी मेला कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों के आध्यात्मिक जीवन में एक पवित्र स्थान रखता है। इस साल 25 हजार से भी अधिक श्रद्धालु मेले में शामिल हुए। श्री शाह ने जम्मूकश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल(CAPF), जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय प्रशासन को खीर भवानी मेले के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि माँ खीर भवानी की कृपा हम पर सदैव बनी रहे।

खीर भवानी मेला 26 मई को शुरू होकर 28 मई को यानी ज्येष्ठ अष्टमी के दिन संपन्न हुआ। मेले के पहले दिन जम्मू से 2500 से भी अधिक श्रद्धालु 107 बसों से मंदिर पहुंचे।

गांदरबल जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के आरामदायक प्रवास के लिए व्यापक और विस्तृत व्यवस्था की गई। गांदरबल जिला पुलिस, गैर सरकारी संगठनों, सरकारी कर्मचारियों, राजनीतिक दलों आदि ने टेंट लगाकर श्रद्धालुओं के लिए जल-पान की व्यवस्था की। जिला पुलिस गांदरबल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF)  की 20 कंपनियों को तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए। साथ ही एस्कॉर्ट वाहन, ROP, CT QRTs, कानून-व्यवस्था के सभी घटक, अतिरिक्त नाका प्वाइंटस् आदि व्यापक तैनाती योजना का हिस्सा रहे। भक्तों के भोजन के लिए दस लंगर स्थापित किए गए।

28 मई की संध्या आरती के साथ मेले का शांतिपूर्वक समापन हुआ। कश्मीरी पंडितों और अन्य स्थानीय समुदायों ने अपने प्रियजनों व समाज की शांति, समृद्धि और खुशी के लिए प्रार्थना की।

पिछले साल ज्येष्ठ अष्टमी के शुभ अवसर पर लगभग 18,000 कश्मीरी पंडितों और श्रद्धालुओं ने प्रसिद्ध माता खीर भवानी मंदिर में दर्शन किए। खीर भवानी कश्मीरी पंडितों की कुल देवी मानी जाती हैं जिनकी वहां बहुत मान्यता है। वर्षों से खीर भवानी मेला कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक बना हुआ है।

Related Articles

Back to top button