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पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने दौरा किया

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री, श्री सर्वानंद सोनोवाल ने 31 अक्टूबर 2021 को वर्तमान में चल रहे समुद्री परीक्षणों के दौरान स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएसी) ‘विक्रांत’ का दौरा किया। यह जहाज 24 अक्टूबर 2021 को दूसरे समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था।

जहाज की पहली समुद्री उड़ान की शुरूआत 21 अगस्त को सफलतापूर्वक की गई थी। पहले समुद्री परीक्षणों के दौरान जहाज का प्रदर्शन पतवार, मुख्य संचालक शक्ति, पीजीडी और सहायक उपकरण सहित संतोषजनक रहा था।

नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी), भारतीय नौसेना द्वारा डिजाइन किए गए इस आईएसी को पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएस एंड डब्ल्यू) के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में बनाया जा रहा है।

भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा विमानवाहक पोत का स्वदेशी डिजाइन और 76% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री के साथ निर्माण आत्मनिर्भर भारत और ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में एक शानदार उदाहरण है। इसके माध्यम से बड़ी संख्या में सहायक उद्योगों का विकास होने के अलावा स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमें 2,000 से ज्यादा सीएसएल कर्मचारियों और सहायक उद्योगों में लगभग 12,000 कर्मचारियों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।

सीएसएल और उनके उप-ठेकेदारों द्वारा काम के अलावा उपकरणों की खरीद में स्वदेशी सामग्रियों को सीधे तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश किय जा रहा है। लगभग 100 एमएसएमई सहित लगभग 550 भारतीय फर्में सीएसएल के साथ पंजीकृत हैं, जो आईएसी के निर्माण में अपनी विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

यह जहाज अब समुद्री परीक्षण के दूसरे चरण के साथ आगे बढ़ रहा है, जिसके दौरान प्रणोदन मशीनरी, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स समूह, डेक मशीनरी, जीवन रक्षक उपकरणों और जहाज प्रणालियों की विस्तृत जांच और परीक्षण को आगे बढ़ाया जा रहा है।

अपनी यात्रा और आईएसी में उपस्थित कर्मियों से बातचीत के दौरान, मंत्री ने सीएसएल को अप्रैल 2022 में जहाज की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया जिससे कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए अगस्त 2022 तक जहाज को चालू किया जा सके।

आईएसी की डिलीवरी होने के साथ ही, भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में शामिल हो जाएगा, जो विमान वाहक का स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता रखता है, जो कि भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ का वास्तविक प्रमाण प्रस्तुत करता है।

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